बोलो वन्दे मातरम्

बोलो वन्दे मातरम्।।

राष्ट्रप्रेम के मद मे चूर सैनिक निकला घर से दूर।
छोड़ चला घरवार सभी को लेकर एक गुरूर,
कि बोलो वन्दे मातरम्।।

माता-पिता, भाई-बहन, सब मोह माया से दूर।
मातृभूमि की रक्षा का प्रण लेकर,करता कष्ट भरपूर,
सर्दी गरमी बरसात को वह सहता है अपने तन पर
सरहद की रक्षा को कफन बाँध के अपने सर पर
कभी गोलियो की तड़-तड़ और कभी बमों की धुम धड़ाका
निश्चल दृढ  उसके कर्म से फहराती है विजय पताका
भारत के है आन भी ये, और भारत की है शान भी ये
हम सबो की रक्षा को, बलिदान है करते जान भी ये
सोचो ऐ भारतवासी की, तुम देते हो क्या इनको
स्वयं जाग कर जो चैन की नींद देते है तुमको
मर कर भी संदेश है देते ये, हम सभी नौजवानो को
भले फौज मे भरती न हो पर, सलाम करो इन दिवानो को
व्यस्त समय मे से कुछ क्षण तुम,देश के लिए निकालो
श्रधा से खड़े होकर कंठ खोलकर नम आँखो से
कि बोलो वन्दे मातरम्।।

यह रचना शशि भूषण जी द्वारा लिखी गयी है . आप कुढनी,मुजफ्फरपुर से हैं . संपर्क सूत्र – मो-9006898128

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