महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि विभिन्न संदर्भों में

                                                              
शिवरात्रि का पर्व हर मास आता है किन्तु उनमें सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी | यह शिव चतुर्दशी , त्रयोदशी सिद्धा होती है | गरुड़ पुराण के अनुसार एक दिन पहले अर्थात त्रयोदशी को व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा चारों पहर की पूजा करते हुए चतुर्दशी को समापन करना चाहिए | 
माघ कृष्ण चतुर्दश्यां महादेवो महानिधि |
शिव लिंग ममूतत्र कोटि सूर्य सम प्रभ: ||
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रात्रि के समान भगवान शंकर करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशित लिंग-मूर्ति रूप में  प्रकट हुए हैं | इसी तिथि को भगवान शंकर ने त्रिभुवन विजयी कामदेव को भस्म किया तथा कामारि नाम से प्रतिष्ठा प्राप्त की | यह दिन याद दिलाता है कि समाधिस्थ होकर मनुष्य को भी अलौकिक कार्य करने की शक्ति उपलब्ध हो जाती है | 
कई जगहों पर यह भी माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि का प्रारंभ हुआ था | पौराणिक कथाओं के अनुसार  सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ था | वहीं ये भी माना जाता है कि इसी दिन देवी पार्वती का विवाह शिवजी के साथ हुआ था | 
समुद्र मंथन को भी इस दिन से जोड़ कर देखा जाता है जब समुद्र मंथन हुआ था तो उससे विष भी निकला था जिसको भगवान शिव ने अपने गले में धारण किया| उस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और वह नीलकंठ कहलाए | उपचार के लिए देवताओं ने शिव जी को रात भर जागने की सलाह दी | उनकी  चिंतन मुद्रा को ध्यान में रखते हुए सारे देवता विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलाप जैसे –गायन,वादन, नृत्य आदि करने लगे | भगवान शिव सबसे प्रसन्न हुए और उन्हें मनचाहा वर दिया | शिवरात्रि इसी घटना का उत्सव है जब शिव जी ने संपूर्ण जगत को बचाया था | इसीलिए इस दिन सामूहिक पूजा, उत्सव आदि का प्रावधान है |शिव को स्वयंभू भी कहा जाता है जिसका अर्थ है स्वयं से उत्पन्न | इसीलिए बारह स्थानों पर स्थापित बारह ज्योतिर्लिंगों  को भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है | 
शिव जिनसे योग परंपरा की शुरुआत मानी जाती है को आदि (प्रथम) गुरु माना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है जिसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप में प्रशिक्षित विभिन्न क्षेत्रों से कलाकारों पूरी रात प्रदर्शन करते हैं। शिवरात्रि को महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएँ अपने पति के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं व अविवाहित महिलाएं भगवान शिव, जिन्हें आदर्श पति के रूप में माना जाता है जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं।
– इलाश्री जायसवाल 
नोएडा 

You May Also Like