यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता

यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता 
Essay on If I were the Prime Minister of India in Hindi

अगर मैं प्रधानमंत्री होता essay in hindi यदि मै प्रधानमंत्री होता पर निबंध अगर मैं प्रधानमंत्री होती पर निबंध अगर आप प्रधानमंत्री होते तो आप क्या करते – यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो अपने प्रिय देश को ऊंचा उठाने के लिए योजनाएं बनाता।परन्तु हमारी पार्टी के बहुमत में आने पर ही ये योजनाएं साकार हो सकती हैं। इसलिए मैं सर्वप्रथम ऐसे प्रयास करता ताकि हमारी पार्टी बहुमत में आए इसके लिए लोग उसके कार्यक्रमों तथा लोकहितकारी उद्देश्यों को पसन्द करे तब लोग। उसे वोट दें और इतने अधिक वोट दें कि केन्द्र में आकर वे पर अपना प्रधानमंत्री चुन सके। 

लोकहित के काम –

अपनी पार्टी का पूर्ण बहुमत सिद्ध हो जाने के पश्चात् में प्रधानमंत्री पद ग्रहण करता। तत्पश्चात् उन कार्यक्रमों, योजनाओं स्कीमों एवं क्रियाकलापों की छानबीन करवाता जिनकी वजह से लोकहित के काम बहुत कम हो सके,

यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता
यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता

आधे-अधूरे रह गए अथवा बीच में ही ठप्प हो गए। मैं साधन जुटाकर सबसे पहले ऐसे कार्य पूरे करता जो जन सामान्य के लिए अधिक-से-अधिक उपयोगी हो सकते हैं। इन कार्यों के उदाहरण हैं-आवागमन के साधनों का विकास, खेती में काम आने वाले उपकरणों, बीजों एवं खादों का विकास एवं उत्पादन, व्यवसायोन्मुखी शिक्षा को सर्व सुलभ बनाना, शिक्षा के समुचित उपयोग के साधन जुटाना, आर्थिक आधार पर समाज के सभी वर्गों में समानता और अन्त में न्याय तथा भाई-चारे के आधार पर ऐसी व्यवस्था करना कि विना भेद-भाव के सभी को रोटी, कपड़ा एवं मकान मुत्भ होता रहे। इसके अलावा में सिंचाई के साधनों की व्यवस्था करता जिससे बाढ़ के पानी का उपयोग और उपपर्यन्त खेती के लिए जल सुलभ हो सके। 

देश की रक्षा शक्ति को मजबूत करना – 

उक्त कार्य मैं अपने देश के नागरिकों की दशा सुधारने के लिए करता। किन्तु, बहुत से ऐसे कार्य भी हैं जो देश को बचाने, उसे प्रगति के पथ पर लाने तथा समस्त तीय जनता को सुख-चैन से जीने देने के लिए भी जरूरी होते हैं उनमें से एक कार्य है-   पूरी शक्ति से अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए जल सेना, थल सेना तथा वायु  सेना को सभी प्रकार के साधनों से सम्पन्न बनाना इससे हमारे जवानों को सुख-सुविधायें मिलेंगी और देश को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी प्रकार की कोई कसर बाकी न छोडेंगे वे युद्ध के मैदानों में शत्रुओं को ऐसा मजा चखायेंगे कि वे फिर कभी हमारे देश की ओर आंख उठाकर न देख सकें। 

योजनाओं को शीघ्र लागू करवाना – 

मैं कदापि ऐसी गलती न करता कि जीते हुए भू-भाग तथा हराये गये शत्रु को छोड़ दें। शत्रु हमेशा बदला लेने के लिए बेचैन रहता है। इसलिए उनके प्रति दया दिखाना धिक्कार है। इसलिए हमलावर शत्रु को पछाड़कर मैं उस समस्त भू-भाग को जरूर अपने देश में शामिल करता जिसे शत्रु ने हथिया लिया था। काम को लटकाए रखना मुझे कदापि पसन्द नहीं है। इसलिए मैं उन सभी कार्यक्रमों को शीघ्र लागू करवाता जो देश के कृषि-उपज, दूध, कपड़ा उद्यम तथा सेवा के क्षेत्रों में अवसर बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। 

हिंदी भाषा की उन्नति – 

हिन्दी हमारे देश की संविधान सम्मत राजभाषा है। मैं हिन्दी को उसके संवैधानिक अधिकार से वंचित रखने का पक्षधर कतई नहीं हूं। मैं उसे उसका अधिकार दिलाने में देर न करता।

बेरोजगारी को दूर करना व शिक्षा की उन्नति – 

देश में आज बेरोजगारी बढ़ रही है। कानून और व्यवस्था खराब होती जा रही है। महंगाई बेकाबू है। भ्रष्टाचार, कदाचार, जातिवाद, अपराध आदि बढ़ते जा रहे हैं। राजनीति अपराधों और जातिवादी उन्माद में फंस गई है। ऐसी स्थिति में देश में जन जागरण की आवश्यकता है। मैं जी-तोड़ मेहनत करके इन बुराइयों को देश से हटाने के प्रयास जरूर करता।शिक्षा के बिना अच्छा गणतन्त्र फल-फूल नहीं सकता। इसलिए गांव-गांव में मैं प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र जरूर खोलता ताकि रात में अथवा अवकाश के दिनों में हमारे ग्रामीण भाई-बहन लिखना-पढ़ना सीखते ।

सबको आगे बढ़ने का अवसर – 

मैं नहीं चाहता कि हमारे कुछ भाई ज्यादा समय तक आरक्षण की बैसाखी पकड़कर आगे बढ़े। मैं चाहता हूं कि हमारे सभी वर्गों के लोग अधिक से अधिक योग्य बनने के लिए प्रयास करें। इसके लिए मैं कुछ केन्द्र खोलता जहां हर वर्गों के बच्चे आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते तथा सफल होकर देश की सेवा करते। 

वन सम्पदा का संरक्षण – 

देश की वन सम्पदा का अंधाधुंध विनाश किया जा रहा है। मेरी इच्छा है कि लोग यदि एक पेड़ अपनी जरूरत के लिए काटते हैं तो उसके बदले में दो पौधे अवश्य लगाएं ताकि हमारी वन सम्पदा में कमी न आने पाए। देश के जंगलों में रहने वाले वन्य जीवन वन की शोभा हैं।उनको मारना घोर अपराध है।इस संदर्भ में मैं ऐसे कठोर कानून बनाता ताकि लोगों का साहस ही न होता कि वे वन सम्पदा का विनाश करें। 

सबकी सेवा करना – 

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है, देश के प्रधानमंत्री का पद बड़ा गरिमामय होता है। मैं अपने पद पर ऐसा कोई काम नहीं करता जिसकी वजह से उसकी छवि पर किसी प्रकार की आंच आती।मैं भगवान से विनती करता हूं कि मुझे प्रधानमंत्री बनने के अवसर दे ताकि मैं अपने देश की अधिक से अधिक सेवा कर सकें। 
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