हाइपोमेनिया (व्यंग)
ऐसा लगता है हम लोग कुछ अधिक आराम तलब हो गये हैं। जो कुछ भी महनत करते हैं वो भी इसलिए की आराम के साधन जुटा सकें। इस आराम की चाहत में हमने ऐसे साधन जुटा लिये और जुटाते जा रहे हैं कि हमारा शारीरिक श्रम ही नहीं चेष्टायें भी न्यूनतर होती जा रहीं हैं।
कुछ व्याधियों में व्यक्ति के चेहरे की मास पेशियाँ कम गतिशील हो जाती हैं चेहरा मास्क की तरह स्थिर भाव में दिखायी पड़ता है इसे हाइपोमीमिया कहते हैं।
आजकल फेसबुक और व्हाट्सप जैसे एप्स पर इमोजी और स्माइली हमारी भाव अभिव्यक्ति के लिये उपलब्ध हैं। इससे सुविधा ये है हम बिना मुस्काए मुस्करा सकते है। बिना हँसे हंस सकते हैं और बिना दुखी हुए भी दुखी हो सकते हैं इत्यादि।
मैं कभी कभी सोचता हूँ क्या भविष्य में ऑफिस में या ऐसे स्थानों या समारोह में जहां दो चार लोगो से आमने सामने मिलना हो लोग अपनी जेबों में प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये इमोजी या स्माइली के कार्ड रखा करेंगे? कौन जाने!
– रवि रंजन गोस्वामी
सह आयुक्त सीमाशुल्क (निवारक)
कोचीन (केरल)
मोबाइल 9895596826