हिन्दी भारत की आत्मा है
किसी भी देश की कोई न कोई मातृभाषा अवश्य होती ही है । सम्पूर्ण विश्व की बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी अपना दूसरा स्थान रखती है। हिन्दी भारत की मातृभाषा होने के साथ ही साथ सम्पूर्ण भारत में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। हमारे यहाँ हिन्दी भाषा मुख्यतः आर्यों की देन है। हिन्दी भारत के राष्ट्रीय चेतना की संवाहक और आत्मा स्वरूप है। यह अत्यंत दुःखद है कि आज की हमारी वर्तमान युवा पीढ़ी हिन्दी भाषा में समुचित रुचि नहीं ले रही हैं।
हिन्दी दिवस मनाये जाने के कारण
14 सितंबर को
हिन्दी दिवस मनाने की परम्परा की शुरूआत सन् 1949 में हुई । भारत की संविधान सभा ने 14
सितंबर सन् 1949 को हिन्दी को राज भाषा के रूप में स्वीकार किया था। यही प्रमुख कारण है कि तब से हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की परम्परा प्रारम्भ हुई।यद्यपि हिन्दी भाषा को अधिकारिक रूप में उपयोग करने की स्वीकृति संविधान सभा से 26 जनवरी 1950 को मिली थी ।ज्ञातव्य है कि इसी क्रम में 10 जनवरी को प्रतिवर्ष “विश्व हिन्दी दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दी दिवस मनाये जाने के तरीक़े
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हिन्दी भारत की आत्मा है |
हिन्दी दिवस पर लेख , निबन्ध लिखने , भाषण का आयोजन आदि की परम्परा है। कयी संस्थान जैसे स्कूल ,कालेज, और कार्यालय हिन्दी दिवस को एक महान उत्सव के रूप में मनाते हैं। स्कूल कालेजों में इस अवसर पर हिन्दी दिवस पर कविता , हिन्दी कहानी , और हिन्दी निबन्ध लेखन इत्यादि कार्यक्रमों का भरपूर सोत्साह आयोजन किया जाता है।संस्थाओं में हिन्दी दिवस के अवसर पर होने वाले भाषणों में हिन्दी भाषा के महत्व पर सारगर्भित प्रकाश डाला जाता है ।इस अवसर पर पुरस्कार वितरण समारोहों का भी आयोजन होता है।भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के द्वारा हिन्दी साहित्य क्षेत्र में विशेष योगदान करने वाले और बेहतर करने वाले विद्वानों और महानुभावों को पुरस्कृत किया जाता है।ज्ञातव्य है कि सन् 1986 स्थापित कुछ पुरस्कारों का नाम 25 मार्च सन् 2015 में परिवर्तित कर दिया गया है। अब ‘इंदिरा गांधी राज भाषा पुरस्कार ‘ और ‘राज भाषा कीर्ति पुरस्कार ‘ को परिवर्तित करके “राज भाषा गौरव पुरस्कार ” कर दिया गया है।
हिन्दी दिवस का महत्व
हिन्दी दिवस मुख्य रूप से हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार और महत्व पर बल देने के लिए मनाया जाता है।आज हमारे समाज में हिन्दी की उपेक्षा करने की परम्परा बढ़ती जा रही है। हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी बोलने वालों को अधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा है । सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार करते समय अंग्रेजी बोलने वालों को वरीयता देने की परम्परा चल पड़ी है ।हिन्दी दिवस का आयोजन उपर्युक्त नकारात्मक परम्पराओं से बचने , ‘राष्ट्रीय भाषा हिन्दी ‘ के महत्व को रेखांकित करने और अपनी राष्ट्रीय अस्मिता , राष्ट्रीय संस्कृति पर जोर (बल ) देने के लिए किया जाता है।हिन्दी दिवस के आयोजन का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि सभी भारतीयों खासकर युवा वर्ग में हिन्दी भाषा के प्रति रुचि और हिन्दी भाषा के महत्व के प्रति समझ अनवरत विकसित होती रहे।मेरे विचार से हिन्दी भारत की सिर्फ राज भाषा ही नहीं , अपितु सम्पूर्ण भारतीयों और भारतीयता की पहचान भी है
हिन्दी भाषा भारतीयों की आत्मा
इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि
अंग्रेजी भाषा का प्रचलन सम्पूर्ण विश्व में है । परन्तु यह भी पूर्ण सत्य है कि हिन्दी भाषा भारतीयों की आत्मा है ।
अन्ततः मेरी कामना –
“कामना मेरी है यही बन्धुओं, अखिल विश्व की भाषा हिन्दी हो।
भारत माँ के शुभ ललाट पर हिन्दी की ही विन्दी हो।।
– पंडित रूद्र नाथ चौबे , सहायक अध्यापक — पूर्व माध्यमिक विद्यालय रैसिंह पुर , शिक्षा क्षेत्र — तहबरपुर , जनपद– आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश ( भारत )
ग्राम– ददरा , पोस्ट– टीकपुर, जनपद–आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश ( भारत )
सम्पर्क सूत्र– 9450822762