धन ही सब कुछ नहीं

धन ही सब कुछ नहीं

माना आस्था सबकी भगवान हैं
पर धन भी क्या आधा भगवान है
धन जमाने में अपनी औकात रखता
बुद्धिमान के हमेशा साथ रहता
धन सब कुछ नहीं पर कुछ तो है
बिन इसके सब व्यर्थ ही तो है
यह है तो सब सुविधाएं हैं मिलती
पर सच्ची खुशी मिले
यह जरूरी तो नहीं

धन ही सब कुछ नहीं

खुशियां बिकाऊ कहां होती
होती तो जन-जन की जेब में होती
ना कोई फिर तड़पता इसके लिए
मारा मारा ना  फिरता पाने के लिए

धन ना हो तो सब होता बेमानी
कई लोग पेट भरने को केवल पीते पानी
निर्धन नाम ही ना बन पाता
हर कोई जो बराबर धन पाता

ज्यादा होना होता है बुरा
घमंड जब हो जाए तो धन है अधूरा
लक्ष्मी का वास माना जहां होता है
वहां भंडार भरे खजाना होता है

होली दिवाली सब इस की देन है
राजा का रंक होना समय की फेर है
बुद्धि  चाहिए इसे भी उपयोग करने में
भरे खजाने खाली हो अन्यथा इसे बचाने में
बचत की आदत हर कोई जो अपनाएं
सब पैरों की धूल यह धन बनता जाए
धन को कभी भी हावी ना होने दें
यह नौकर है इसे नौकरी ही करने दे
गर्व  होना एक अलग बात है
भगवान ,भगवान है ,बस हर दम वही साथ है
अगर ज्यादा हो तो किसी गरीब को करो दान
धन नहीं होता कभी भगवान
बड़ा होता हमेशा बुद्धिमान
बुद्धिमान वो जो बुद्धि का बल दिखाए
धनवान को भी बचत का पाठ पढ़ाये 

तभी ये धन ऊंचा स्थान पाए



– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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