कातर
भरे बाजार में एक बच्चा सबसे कुछ पैसे मांगता दिखा , ऐसा ही कुछ लगा, अपने आंखों को बार बार पोंछ भी रहा है , बहुत देर से आते जाते सब से कातर भरी नजर से भीख मांगता फिर रहा है, कोई खराब तरीके से झिड़क देता , चल भाग यहां से कहता, कोई कुछ न बोलता आगे बढ़ जाता, काफी देर से देख रही हूं कि किसी ने भी उसके बहते अश्रु पर एक नजर तक न डाला है।
महज दस वर्ष का लड़का है, सभ्रांत परिवार का लग रहा , क्या हुआ बेटा ? क्यूं रो रहे हो और तुम्हारे मम्मी – पापा कहां हैं ? मेरी आवाज से उसकी आँखें चमक उठी–‘ , आंटी आंटी ।प्लीज हेल्प मी , __ हां हां बोलो न बेटा , क्या बात है •••• मेरी मम्मी बेहोश हो गई है , पापा बाहर बिजनेस टूर पर हैं , हमलोग हफ्ता भर पहले ही जयपुर शिफ्ट हुए हैं , किसी को नहीं जानते हैं , मेरी मदद करिये न ! हाथ जोड़कर बोला , अच्छा चलो देखती हूं। वहीं पास का बिल्डिंग के फ्लैट में लेकर गया, अंदर उसकी मम्मी (मात्र तीस साल की ) सोफा पर बेहोश पड़ी है , । पापा को फोन करो न , बोली मैं।
पापा का फोन नहीं लग पा रहा, अगल बगल जा कर दरवाजा पीटता रहा , किसी ने मदद नहीं की है , कोई जानता नहीं हमें ? उनको लगा कि कोई अनजान बच्चा अपार्टमेंट में घुस गया है ? बच्चा के बात सुनकर द्रवित हो गया मन , लोग कितने आत्मकेंद्रित हो गए हैं? एक छोटे बच्चे से जानना भी न चाहा कि क्यों रो रहा है ? जार – जार सा हो रहा इंसानियत। दुखी सा मन हो गया ।
एंबुलेंस आया, अस्पताल में ले जाकर एडमिट करवाया , वहीं तब तक बैठी रही , जब तक उन्हें होश नहीं आया । डाॅक्टर अपना काम कर चूके हैं, सूई दवाई का डोज काम कर गया है।होश आने पर वो महिला अचंभित हो रही है कि हास्पिटल में कैसे आ गई है ? डाॅक्टर मुस्कुरा कर बोले , वो उठने लगी , नहीं नहीं अभी आप आराम करिये , शाम तक आप घर जा सकती हैं।पर मैं अपने को ठीक महसूस कर रही हूं, लेकिन हुआ क्या मुझे , कैसे आई मैं यहां!
आपको इन्होनें लाया है यहां•••• मेरी ओर डाॅक्टर देखकर बोले । आपका बी पी बहुत ज्यादा बढ़ गया था , बेहोश हो गई थीं। अब आप ठीक हैं, काबू में है ।बी पी की दवाई रेगुलर लेना शुरू कर दीजिए।
सुनकर वो मुझे देखकर गदगद हो गई है , मम्मा इन्होंने तुम्हारी जान बचाई , बच्चा भी आत्मविभोर हो कह रहा अपनी मम्मी से ! मेरी तरफ हाथ जोड़कर नतमस्तक हो गई है वो । उसकी आँखों से कृतज्ञता का भाव दिख रहा है ।
डाॅक्टर बोल रहे अकेले में•••• आप समय से नहीं लाई होतीं तो ब्रेन हेमरेज भी हो सकता था ।
– अंजू ओझा , पटना।