आंचल में चांद

आंचल में चांद

पिछली बार की तरह ही निशा ने नई साड़ी खरीदी, चूड़ियां, कंगन, बिंदी और मेहंदी भी। उसकी दोस्त रोमा भी उसके साथ बाज़ार गई थी। रोमा निशा को रोकना चाहती थी लेकिन उसकी भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती थी। इसलिए चाहकर भी कुछ नहीं बोली। निशा और रोमा एक ही विभाग में कार्यरत थे। पिछले वर्ष दिसंबर माह में उन्हें नियुक्ति मिली थी। रोमा की ससुराल इसी शहर में थी। वह अपने सास ससुर तथा पति के साथ रहती थी। निशा हॉस्टल में रहती थी। पिछले वर्ष अक्टूबर में ही उसकी शादी हुई थी। शादी के दो महीने बाद ही उसे सरकारी नौकरी मिल गई थी। उसकी ससुराल दूसरे शहर में थी। ससुर का अपना व्यवसाय था और पति भी उनके साथ ही काम करते थे। ससुराल वाले नहीं चाहते थे कि निशा दूसरे शहर जाकर नौकरी करे। लेकिन निशा ने उनकी बात न मानकर दूसरे शहर जाकर नौकरी स्वीकार कर ली थी। इस बात से उन लोगों का स्वाभिमान आहत हुआ। कुछ महीने चुप रहे कि निशा का शौंक पूरा हो जाएगा तो खुद ही नौकरी छोड़कर ससुराल वापिस आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तो उन्होंने भी समय गंवाए बिना तलाक का नोटिस निशा के पास भेज दिया। निशा जिस तरह नौकरी नहीं छोड़ना चाहती थी अपने पति को भी नहीं छोड़ना चाहती थी लेकिन दोनों इच्छाओं का कोई मेल होता उसे नजर नहीं आता था। फिर भी उसने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया।

आंचल में चांद
अर्चना त्यागी

रोमा ने हॉस्टल पन्हुचकर निशा का सामान उसे दे दिया और अपने घर जाने के लिए उठी। ” तुमसे एक बात पूछना चाहती हूं निशा, क्या तुम इस बार चौथ का व्रत कर रही हो?” निशा ने कुछ सोचे बिना उत्तर दिया,” बिल्कुल कर रही हूं, विधि विधान के साथ।” रोमा ने एक और प्रश्न किया, ” क्या अब भी सुमित से तुम्हारी बात होती है ?” निशा ने ना में गर्दन हिलाई।” लेकिन सुमित अब भी मेरे पति है और उनकी लंबी उम्र तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए मैं अवश्य ही व्रत करूंगी।” उसने दृढ़ता पूर्वक उत्तर दिया। रोमा ने और कुछ नहीं पूछा और अपना सामान लेकर घर लौट गई।

एक दो दिन बाद सुमित का फोन आया,” निशा तुमसे बात करना चाहता हूं।” निशा ने खुश होकर जवाब दिया,” करवाचौथ वाले दिन मेरे हॉस्टल में आ जाओ, आराम से बैठकर बातें करेंगे।” सुमित ने बात मान ली और करवाचौथ से एक दिन पहले ही निशा के हॉस्टल पहुंच गया। एक दूसरे का हाल जानने के बाद सुमित ने बताया कि उसने इसी शहर की एक कंपनी में नौकरी के लिए बात कर ली है। एमबीए किया है तो नौकरी मिलने में कोई मुश्किल नहीं हुई। निशा ने उसकी बात बहुत ध्यान से सुनी लेकिन कोई उत्तर नहीं दिया। अगले दिन करवाचौथ पर निशा ने दुल्हन की तरह अपना श्रृंगार किया और व्रत रखा। सुमित बस उसे निहारता रहा। रात में चांद निकला तो सुमित ने निशा को अपने हाथ से पानी पिलाया। निशा बहुत खुश थी। खाना खाते हुए निशा ने सुमित से कहा,” सुमित मै भी तुम्हे करवाचौथ का उपहार देना चाहती हूं। मैंने अपने स्थानांतरण के लिए आवेदन कर दिया है। अप्रैल तक मुझे उसी शहर में स्थानांतरण मिल जाएगा। बस तुम मम्मी पापा को मेरी नौकरी के लिए मना लेना। मैं तुम्हे उनसे अलग नहीं करना चाहती।”

सुमित की आंखे चमक उठी। “वो काम तो मैं पहले ही कर चुका हूं निशा, तभी तुम्हे फोन किया था।उन दोनों ने अपनी ज़िद छोड़ दी है।”निशा तो जैसे खुशी के सातवें आसमान पर थी।” हां नोटिस के जवाब में भी मैंने यही लिखा है”। उसने शरारत से कहा तो सुमित ने उसके दोनों हाथ पकड़ कर कहा,” मेरी काबिल बीवी, बस कुछ ही महीनों का इंतजार है। फिर से हम एक साथ ही रहेंगे।” निशा तो आसमान में निकले चांद को निहार रही थी। आज उसका चांद उसके आंचल में नज़र आ गया था।

– अर्चना त्यागी

जोधपुर राजस्थान

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