जहां भर से दुश्मनी कर ली – पुरु मालव

अगर किसी ने यहाँ दिल से दोस्ती कर ली
यूँ जानिये कि जहां भर से दुश्मनी कर ली

फ़रेब उसने किया जिसपे था यक़ीन मुझे
कि रहनुमा था सरे-राह रहजनी कर ली

अजब है बात मगर बर्क़ ने उड़ाई है
कि उसने खिरमने-हस्ती से दोस्ती कर ली

वो सारे शहर की ज़ुल्मत मिटाने निकला था
और उसने क़ैद हवेली में रोशनी कर ली

तू मेरे साथ होता तो और अच्छा था
तेरे बग़ैर बसर यूँ तो ज़िंदगी कर ली

मिला है पुरु को यक़ीन आप ऐसा रहनुमा
ग़ज़ल की राह खुली यूँ कि शाइरी कर ली

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