एक औरत
एक औरत
घूँघट में
चेहरा छुपाए
मासूम सा ,
पानी ले जाती
कुएं से
मटकी में उड़ेलकर
सिर पर सजाकर I
पानी की बूंदे
छलककर
भिगो देती
उसे
कर देती गीला
पांव तक,
औरत
निगाएँ घुमाकर
इधर उधर
झाँकती घूँघट से
थोड़ा हिचकिचाकर
अशोक बाबू माहौर |
साडी छटकराती
फटकारती पांव
आँचल मुँह में दबाकर
चुप्पी साधकर
लांघकर चौखट
पथ की ,
घर की
दहलीज पर
कदम रखती I
यह रचना अशोक बाबू माहौर जी द्वारा लिखी गयी है . आपकी विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी है . आप लेखन की विभिन्न विधाओं में संलग्न हैं . संपर्क सूत्र –ग्राम – कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111 , ईमेल-ashokbabu.mahour@gmail.
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