आँखों देखी

आँखों देखी

मोनिका तुम्हे याद है तुमने एक बार कहा था कि अगर कभी भी हम इस रिश्ते को खत्म करना चाहें तो या कभी भी हमारी जिंदगी में कोई और आ जाये तो हम एक दूसरे को बता सकते हैं।

आँखों देखी

हाँ कहा था याद  भी है। तो कोई पसंद आ गया क्या? मोनिका ने शरारती अंदाज में कहा।
रेवन्त ने सकुचाते हुए कहा हाँ आ तो गया है मगर मुझे नही तुम्हे ।
क्या !क्या!बकवास क्या है ये। कोई पसंद आ गया मतलब । कहना क्या है तुम्हे साफ कहो।

आज मुझे पता चला कि तुमने शादी के दिन इतनी अजीब बातें क्यो की थीं। तुम्हे पहले ही ये सब मुझे बता देना था।
मगर हुआ क्या है ये बताओगे?

अब इन बातों का क्या मतलब है।इतना बनने की जरूरत नही है। मैंने सब कुछ अपनी आँखों से देखा है और समझ लिया है। मुझे बस ये बता दो मैंने क्या कमी की तुम्हे प्यार देने में?देखो रेवन्त मेरा सर दर्द से फट रहा मुझे कुछ समझ नही आ रहा है कि तुम बोल क्या रहे हो?

मैं भी घुमाना नही चाहता पिछले दो दिन से मैं नोटिस कर रहा हूँ। तुम किसी से मिलने जा रही हो कौन है वो। क्या झूठ है बोलो?
मोनिका ने ठंढी सांस लेते हुए कहा ओ एम जी!

क्या ?रेवन्त ने कहा।

मोनिका ने रेवन्त का चेहरा देखा और कहना शुरू किया आखिर तुम्हे सब पता चल ही गया। चलो अच्छा है तुम खुद ही समझ गए।अब जो भी फैसला करना हो करो । क्या आदेश है मेरे लिए, बताओ।

रेवन्त ने झल्लाते हुए कहा तुम कितनी आसानी से ये सब कह रही हो । क्या तुम्हें कोई फर्क नही पड़ता। क्या तुम्हारे लिए सिर्फ तुम ही हो।
मैं , मेरा परिवार,ये घर किसी के लिए तुम्हे बुरा नही लग रहा। तुम इस तरह बदलोगी ये तो मुझे पता नही था । मगर तुम….  अब तुमसे क्या शिकायत जब तुम्हारे सारे फैसलें तैयार ही हैं। कम से कम एक बार सोचती तो उसके बारे में जिसने माँ जैसा प्यार दिया। उसके बारे में जिन्होंने हर पल तुम्हे संभाला। उन नंदो का क्या जिन्हें तुमने सहेली बना लिया था।

टिंग टोंग

रेवन्त बोल ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बजी।मोनिका ने दरवाजा खोला। अरे! बड़े पंचुअल हो टाइम से आ गए।हाँ वो आपने बताया था न कि रेवन्त सर को देर पसंद नही।मोनिका हंसी अच्छा! आओ, आओ  अंदर आओ।

हेलो सर् शुभम ने बोला।
रेवन्त आवक हो कर बोला तुम यहाँ भी आ गए।

इससे पहले रेवन्त और कुछ बोलता मोनिका ने कहा रेवन्त ये शुभम है। साक्षी का दोस्त ये और साक्षी शादी करना चाहते हैं । साक्षी ,मम्मी जी और मुझे शुभम पसंद है।अब आपके टेस्ट लेने की बारी है।

मोनिका को समझते देर नही लगी की रेवन्त सब समझ गए हैं। उसने तुरंत कहा आप तो फेल हो गए मुझे समझने में ,पर शुभम पास हो जाएगा मुझे यकीन है।रेवन्त के दिल मे मोनिका के लिए गर्व भी था और खुशी भी थी और अपनी सोच को लेकर शर्मिंदगी। उसे लगा आँखों देखा भी कभी कभी गलत हो जाता है।



रचनाकार परिचय 
श्रद्धा मिश्रा
शिक्षा-जे०आर०एफ(हिंदी साहित्य)
वर्तमान-डिग्री कॉलेज में कार्यरत
पता-शान्तिपुरम,फाफामऊ, इलाहाबाद

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