कोरोना कॉल में सूना स्कूल
एक छोटा सा स्कूल है सामने मेरे
कितने सुन्दर थे वहां के नज़ारे
छोटे – छोटे बच्चे वहां थे पढ़ते
हल्ला करते गुल्ला करते
एक दूसरे का पीछा करते
पकड़ा पकड़ी धक्का मुक्की
कुछ पढना कुछ शैतानी
सूना स्कूल |
बाल लीला के दृश्य मनोहर
सब वहां चलते रहते
पंक्तिबद्ध हो वे आते जाते
पंक्तियोँ में वे खड़े हो जाते
सस्वर फिर प्रार्थना करते
मनमोहक दृश्य बड़ा प्यारा – प्यारा
आँखों में है अब तक हुआ समाया
स्कूल देख अब है मन भारी
सुनसान पड़ा अब वहां नहीं है कोई
कमरे बंद है खेल मैदान भी सूने
रंग बिरंगी स्कूल की पेंटिंग
रंग बिरंगी वहां की दीवारे
हरे भरे पेड़ झूमते
हरा भरा हरियाला मैदान
सब कुछ ही वहां है
पर वहां बच्चे कहीं नहीं है
शांत पड़े झूले एकदम उदास खड़े है
बच्चे सब है रास्ता भूले
ना हल्ला गुल्ला ना कोई शोर शराबा
ना स्कूल की घंटी की आवाज कहीं है
ढम – ढम वाला ढोल भी कहीं छुपा है
देख स्कूल मन उदास बड़ा है
आई जुलाई फिर भी सुनसान पड़ा है
– जय तोमर
गाज़ियाबाद, यूपी