अयोध्या का अर्थ
अयोध्या का अर्थ है
जिसे युद्ध में हराया न जा सके
जिससे युद्ध संभव न हो !
लेकिन अपने नाम के विपरीत
अयोध्या |
अयोध्या हारती रही बार-बार
बार-बार हुई पराजित
वह भी बिना लड़े ही।
जब राज्य अभिषेक के लिए लाया
सप्त सरिताओं और सप्त सागरों का जल
कलशों में रखा रह गया
और श्रीराम वन चले गए
तब हार गई अयोध्या।
जब कौशल्या को कैकेयी
करती रही अपमानित
हारती रही अयोध्या।
जब ली गई अग्नि परीक्षा सीता की
उसे देनी पड़ी सफाई
तभी हार गई अयोध्या
और हार गए रघुराई
जब गर्भवती सीता खदेड़ दी गई
बिना कारण बताए अयोध्या से
तब भी हार गई थी अयोध्या।
जब शंबूक की हत्या की श्रीराम ने
तपस्या करते समय
तब भी हार गई थी अयोध्या।
जब सीता अश्वमेध के लिए लौट कर आई
और धरती में समाने से न रोक सके रघुराई
रघु और दशरथ के आंगन में
घटी यह दुर्घटना
तब भी पराजित हुए श्रीराम
तब भी हार गई थी अयोध्या।
आगे जब श्रीराम का घर बनाने
बोधिसत्व |
लोग राक्षस बन कर चढ़ आए अयोध्या पर
तब भी हार गई अयोध्या।
हम भूल जाते हैं कि
अयोध्या सिर्फ धनुर्धर श्रीराम की नहीं
वह निहत्थी सीता और
अकेले शंबूक की भी है
वह नास्तिक जाबालि और
तपस्वी वशिष्ठ की भी है।
अयोध्या एक हारा हुआ नगर है
एक बिना लड़े परास्त हुआ घर है।
जब जब आए आक्रमणकारी
अयोध्या ने कोई संघर्ष किया हो
इसकी कोई सूचना नहीं मिलती इतिहास में।
रावण ने श्रीराम के पूर्वज
महाराज अनरण्य को हराया
अयोध्या आकर
युद्ध भूमि में धराशायी अनरण्य को मारा
दिग्विजयी रावण ने ठोकर
दशरथ तो रावण के नाम से डरते थे
हालाकि श्रीराम ने रावण को
हराया लंका पर चढ़ कर।
लेकिन जीत कर भी श्रीराम हारते रहे
हारती रही अयोध्या
जब जब सीता और शंबूक को
मारती रही अयोध्या।