डर और भी है

डर और भी है

मोहन को अकेला छोड़,उसके घर वाले कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने चले गये|सोचा अगली बार वह खुद घूमने जायेगा और अपनी मन पसंद चीजें खरीद लायेगा|क्योंकि मोहन हठीला जिद्दी लडका था|
      
डर और भी है

रात के यही कही दस बजे का वक्त था किसी ने दरवाजा थपथपाया|मोहन डरा, सहमा सा बोला “कौन है? ” पर कोई जवाब नहीं|जैसे ही दरवाजा खोला तीन चार बंदे धडा़धड़ अंदर घर में घुस गये|सारा सामान चिथर बिथर कर दिया|अलमारी में रखे कुछ रुपये लेकर वे फरार हो गये|ये कहते “अगर तूने किसी को बताने की कोशिश की तो अंजाम बहुत बुरा होगा|”

      
मोहन ड़़र से चीख़ उठा रोने लगा|आसपास के सारे पड़ोसी इकट्ठा हो गये|घर की स्थिति देख सब समझ गये आखिर क्या हुआ है?
     
“हम तो कुछ दिन पहले ही यहाँ रेंट पर रहने के लिए आये थे|हमें क्या पता ये हो जाएगा|” मोहन रोते हुए बोला|
      
किसी ने पुलिस को काॅल कर दी ताकि जल्द से जल्द बदमाश पकड़े जाऐं क्योंकि ?मोहन के साथ जो हुआ वो किसी और के साथ भी हो सकता है|
      
पड़ोसी समझाकर अपने- अपने घर चले गये|मोहन सिसकियाँ में ड़ूबा खड़ा दरवाजे पर  रोता रहा|
अशोक बाबू माहौर 
ग्राम कदमन का पुरा, तहसील अम्बाह, जिला मुरैना (मप्र) 476111 
मोबाइल – 8802706980

You May Also Like