शौक को जिंदा रख
मन में शौक तू जिंदा रख
जीवन की दौड़ में बहुत कुछ पीछे छोड़ा
उन धुंधली यादों पर समय का महीन पर्दा रख
पर शौक को तू अपने जिंदा रख
सारा दिन मशीन बन काम किया
एक हसीन पल पर अपना भी नाम लिख
मन में शौक को तू जिंदा रख
रिश्ते नाते भाई बंधु
सभी के लिए मन मार जिए
जीवन तो अपना है जिंदगी के लिए
अपनेपन का हुनर रख
मन में शौक को जिंदा रख
पर इच्छा पूरी करते करते
इच्छाओं का कफन बनाया
उस कफन के नीचे सुलगता हुआ मन रख
मन में शौक को जिंदा रख
ढलती शाम जब जीवन बन जाएगा
ढाढस बंधा ने तब कोई ना आएगा
लाठी खुद की बनने को हिम्मत रख
मन में शौक को तू जिंदा रख
मन में शौक को तू जिंदा रख
– सोनिया अग्रवाल
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र