न्यूटन के आदि पूर्वज प्रेरणा स्रोत

कणाद परमाणुवाद गति नियम के जनक, डाल्टन न्यूटन के अघोषित गुरु

णाद नाम उस भारतीय का,
जिन्होंने पदार्थों के कण कण 
तोड़, किया परमाणु अन्वेषण,
इजाद किया गति का नियम!
कणाद उस ऋषि की संज्ञा थी
जो उच्छिष्ट अन्न कण खाकर
परमाणु कण आविष्कारक बने 
कहलाने लगे थे कणभुक ऋषि!  
कणाद दिन भर समाधिस्थ हो
रात में धान्य कण तलाशते थे,
जिससे वे औलुक्य कहलाते थे,
उनके पिता अणुवादी उलूक थे!
कणाद आजीवन उपेक्षित रहे थे,
कणाद दर्शन के मार्ग दर्शन से,
यूरोप के परमाणु और गतिवादी 
डाल्टन व न्यूटन वैज्ञानिक बने!
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत ऐसे
सभी द्रव्य निर्मित परमाणुओं से!
न्यूटन के आदि पूर्वज प्रेरणा स्रोत

वे रासायनिक क्रिया में भाग लेते

वे अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते!
वे रासायनिक क्रिया में न सृजित 
और नहीं किसी तरह विनाश होते!
ऋषि कणाद की जन्म स्थली थी
श्रीकृष्ण निर्वाण भूमि गुजरात के 
प्रभाष क्षेत्र द्वारका के पाटण में
कणाद द्रव्य संरचना के ज्ञानी थे!
वे ईसा पूर्व छह सौ में जन्मे थे,
बुद्ध, महावीर के समकालीन थे,
चरक और पतंजलि के पूर्ववर्ती वे,
वे आदि आचार्य परमाणुवाद के!
कणाद दर्शन है वैशेषिक दर्शन,
इस भौतिक जगत की उत्पत्ति
पदार्थ के सूक्ष्म से अति सूक्ष्म 
परमाणुकणों के संघनन से हुई!
कणाद ने पदार्थों के कण को
सूक्ष्म से सूक्ष्म कण में तोड़ा
और पाया था, एक ऐसा क्षण 
जब आगे हुआ नहीं विभाजन!
अब आगे विभाजन से पदार्थ 
अपना मूल गुणधर्म खो देता,
परमाणु सतत गतिशील होता,
परमाणु अदृश्य शाश्वत होता!
एक जैसे दो अणु मिल करके 
द्विणुक का निर्माण करता है,
अलग अलग पदार्थों के अणु
आपस में मिलन कर सकता!
कणाद अणु विज्ञान के पिता,
जॉन डाल्टन का प्रेरणा स्रोत,
न्यूटन पूर्व गति नियम ज्ञाता,
वे गुरुत्वाकर्षण के खोजकर्ता!
पृथ्वी, जल, तेज, वायु,आकाश,
काल, दिक्, आत्मा और मनस्,
ये नौ प्रकार के पदार्थ शाश्वत,
जिनके सृष्टि व संहार ना होते!
पृथ्वी, जल,तेजस और वायु का
नित्य और अनित्य दो रुप होते,
नित्य परमाणु, अनित्य है कार्य,
परमाणु से ही जीव-जगत बनते! 
सर आइजक न्यूटन के पहले से
गति और गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत
कणाद वैशेषिक दर्शन में वर्णित
न्यूटन ने किया स्वनाम घोषित!
‘वेग: 
निमित्तविशेषात कर्मणो जायते। 
वेग: 
निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते 
नियतदिक क्रियाप्रबंधहेतु
वेग: संयोग विशेष विरोधी।‘
(अर्थात् वेग या मोशन 
पांचों द्रव्यों पर निमित्त 
व विशेष कर्म के कारण 
उत्पन्न होता है 
तथा नियमित दिशा में 
क्रिया होने के कारण 
संयोग विशेष से नष्ट होता 
या उत्पन्न होता है!)
ऐसे ही न्यूटन के गति के तीन नियम;
पहला जड़त्व का,दूसरा संवेग का नियम,
तीसरा क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती
और गुरुत्वाकर्षण नियम की बात कही!
“वस्तु की अवस्था तबतक नहीं बदलती
जबतक बाह्य बल से बदली नहीं जाती!
किसी पदार्थ के संवेग में परिवर्तन की दर 
लगाए गए बल का समानुपाती होती और
वेग की दिशा वही जो बल की दिशा होती!
न्यूटन ने तीसरे नियम में कहा था प्रत्येक
क्रिया के बराबर व विपरीत प्रतिक्रिया होती!”
न्यूटन के सेव धरती पर गिरने के
पूर्व कणाद ने ओखली में रखे हुए
अन्न पर ऊपर से नीचे गिरते हुए 
मूसल में गुरुत्वाकर्षण बल देखे थे!
कणाद नहीं थे सिर्फ जान डाल्टन,
न्यूटन के आदि पूर्वज प्रेरणा स्रोत,
बल्कि परमाणु बम वैज्ञानिक रावर्ट
ओपनहाइमर भी थे उनसे ओतप्रोत!
इतिहासज्ञ टी एन कोलबुर्क ने कहे 
कणाद सदृश भारतीय शास्त्र ज्ञानी
यूरोपीय वैज्ञानिकों से कहीं अधिक
विश्व प्रसिद्ध महान दार्शनिक थे!
कणाद ने परमाणु को ही पदार्थ व
जीवन का अंतिम तत्व बताया था, 
मौत के क्षण में भी परमात्मा नहीं
पीलव:यानि परमाणु नाम कहा था!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखंड-814101

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