आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा
हिन्द की मिटटी पर कौन यूँ लिख रहा ?
आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा I
मैंने जब कलम छुई
शब्दों का बहाव हुआ
ओतप्रोत रस का
मेरे लिखे गीत को वह गुनगुना रहा
आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा I
मैं तुलसी,मैं ही मीरा
मैं कबीरा,खान हूँ
छुपे हुए मेरे अंदर
शब्दों का आगाज हूँ I
मेरे लिखे गीत को वह गुनगुना रहा
आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा I
मैंने लिखीं कवितायेँ
कहानियाँ,उपन्यास भी
वीरों को बल दिया
ताकतें फौलादों सी I
हे ! वीर आगे बढ़ो कवि यह कह रहा
आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा I
सोचता हूँ करूँ अब
रसों की बौछार यूँहीं
भींग जाए नभ,धरा
बूढ़े,बच्चे,जवान यूँहीं I
ऐसे शब्द जड़ूं अब मन मेरा कह रहा
आज भी तुमने मेरे हाथ को अनाथ कहा I
स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकानाएँ
रचनाकार परिचय
नाम-अशोक बाबू माहौर
जन्म-10 /01 /1985
जन्म स्थान-कदमन का पुरा,मुरैना
लेखन-हिंदी साहित्य लेखन ,कहानी कविता आदि
प्रकाशित साहित्य-हिंदी की साहित्यक पत्रिकाओं में कहानियाँ,कविताएँ एवं लघुकथाएँ प्रकाशित
संपर्क-ग्राम-कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111
9584414669