याद जब जब तुम्हारी आती है

याद जब जब उसकी आई

याद जब जब उसकी आई
मन बावरे ने ली जोर से अंगड़ाई
महफिलों में भी भली लगे तनहाई
याद जब जब उसकी आई

याद जब जब तुम्हारी आती है

याद उसकी बन गई ज्यो मेरी परछाई
जब जब रोने का मन हुआ
अचानक ही हंसी आई
याद जब जब उसकी आई

मन रूपी विशाल बंजर पर
उसने प्रेम बारिश की झड़ी लगाई
याद जब जब उसकी आई

आत्मा के भीतर आते ही उसने
तड़पन की आफत मचाई
याद जब जब उसकी आई

मद मस्ती , मदहोशी का आलम
याद आते ही सारा समा भिगो गई
याद जब जब उसकी आई

चीर अनंत तक साथ रहना है
साथी हूं तेरी यह बात समझा गई
याद जब जब उसकी आई

उसकी याद ही काफी हैं क्योंकि 
उसके आने से पहले।।

वो चली आई
याद जब जब उसकी आई
याद जब जब उसकी आई




– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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