कलम तुम बिन

कलम तुम बिन

नन्हीं सी कलम हूं।
सपने करु साकार ।
चाहे चार आने ।
चाहे आठ आने।
देकर खरीदी गई ।
नहीं है कोई अहंकार।
सुनहरी कलम में।
सुनहरी स्याही से ।
लिखती हूँ किसमत ।
कोरे कागज पे ।

अर्विना
अर्विना 

हरफो के मोती।
बिखरा दिये हैं।
एक बात कहूंँगी​।
तुम बिन मैं अधूरी।
मुझ बिन तुम ।
तुम बिन मैं ।
कुछ भी नहीं ।
कलम बिन स्याही ।
स्याही बिन कलम ।
अधूरी है रहती ।
थामते न हाथ अगर।
निकलते न दिल के ।
जज़्बात तो ।
रह जाती ये।
किताब अधूरी ।
 लेखक न उठाता
न लिखता तो।
अख़बार रहता कोरा।
होती न खबरें।
कैसा सुप्रभात होता ।
इसके बिन
चटपटी खबरें ।
कोन लाता ।
है कलम ।
तुम बिन ।
भोर न होती ।
जीवन सूना होता ।




– अर्विना ,
D9 सृजन विहार ,एनटीपीसी मेजा
जिला प्रयागराज

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