Ek Maa Ki Bebasi एक माँ की बेबसी कविता
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एक माँ की बेबसी कविता की व्याख्या
1. न जाने किस अदृश्य पड़ोस से
निकल कर आता था वह
खेलने हमारे साथ-
रतन, जो बोल नहीं सकता था
खेलता था हमारे साथ
एक टूटे खिलौने की तरह
देखने में हम बच्चों की ही तरह
था वह भी एक बच्चा |
लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था
क्योंकि हमसे भिन्न था |
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘कुँवर नारायण’ जी के द्वारा रचित कविता ‘एक माँ की बेबसी’ से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि मेरे पड़ोस में रहने वाला रतन, जो बोल नहीं पाता था | वह हरदिन हम बच्चों के साथ खेलने आता था | जिस तरह कोई खिलौना टूटकर भी खिलौना ही कहलाता है, उसी प्रकार वह अपंग होकर भी हमारे ही तरह एक बच्चा था | लेकिन वह हमारे लिए एक अजूबा था | क्योंकि वह हमसे अलग था |
एक माँ की बेबसी |
2. थोड़ा घबराते भी थे हम उससे
क्योंकि समझ नहीं पाते थे |
उसकी घबराहटों को,
न इशारों में कही उसकी बातों को,
न उसकी भयभीत आँखों में
हर समय दिखती
उसके अंदर की छटपटाहटों को |
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘कुँवर नारायण’ जी के द्वारा रचित कविता ‘एक माँ की बेबसी’ से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि हम रतन से घबराते भी थे, क्योंकि उसकी घबराहटों को समझ नहीं पाते थे और न ही इशारों में उसकी बातों को समझना आसान होता था | उसकी भयभीत आँखों में जो व्याकुलता रहती थी, उसे भी हम समझ नहीं पाते थे |
3. जितनी देर वह रहता
पास बैठी उसकी माँ
निहारती रहती उसका खेलना |
अब जैसे-जैसे
कुछ बेहतर समझने लगा हूँ
उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं |
याद आती
रतन से अधिक
उसकी माँ की आँखों में
झलकती उसकी बेबसी |
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘कुँवर नारायण’ जी के द्वारा रचित कविता ‘एक माँ की बेबसी’ से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि जब तक रतन खेलता था, उसकी माँ उसके पास बैठी रहती थी | उसकी नज़र हमेशा रतन पर होती थी | कवि उन दिनों छोटे बच्चे थे | रतन के गूंगेपन के साथ-साथ उसकी माँ की बेबसी को भी समझ पाने में असमर्थ थे | किन्तु, अब कवि बड़े हो गए हैं | जो बोल नहीं पाते, जो इशारों में अपनी भावनाओं को साझा करने की कोशिश करते हैं | ऐसे लोगों की बातें, बढ़ती उम्र के साथ अब उनको सबकुछ बेहतर समझ आने लगा है | कवि कहते हैं कि मुझे अब भी रतन याद है | पर सबसे ज्यादा वो बेबसी याद आती है, जो उसकी माँ की आँखों में झलकती थी | शायद वह अपने बेटे की सुरक्षा और भविष्य को लेकर परेशान रहती थी |
एक माँ की बेबसी कविता का सारांश/मूल भाव
एक माँ की बेबसी पाठ या कविता ‘एक माँ की बेबसी’ कवि ‘कुँवर नारायण’ जी के द्वारा रचित है | कवि के द्वारा इस कविता में रतन नाम के एक अपंग(जो बोलने में असमर्थ है) बच्चे का मार्मिक चित्रण किया गया है |साथ ही साथ प्रस्तुत कविता में रतन की माँ की बेबसी का वर्णन भी भावात्मक रूप में हुआ है |
वैसे तो रतन दिखने में दूसरे बच्चों के जैसा ही था, लेकिन बोल पाने में असमर्थ था | कवि कहते हैं कि वह हर रोज हमारे साथ खेलने आया करता था | हमारे लिए वह अजूबा था, क्योंकि हमसे भिन्न था | हम रतन से घबराते भी थे, क्योंकि उसकी घबराहटों को समझ नहीं पाते थे और न ही इशारों में उसकी बातों को समझना आसान होता था | उसकी भयभीत आँखों में जो व्याकुलता रहती थी, उसे भी हम समझ नहीं पाते थे |
जब तक रतन खेलता था, उसकी माँ उसके पास बैठी रहती थी |उसकी नज़र हमेशा रतन पर होती थी | कवि उन दिनों छोटे बच्चे थे | रतन के गूंगेपन के साथ-साथ उसकी माँ की बेबसी को भी समझ पाने में असमर्थ थे | किन्तु, अब कवि बड़े हो गए हैं | जो बोल नहीं पाते, जो इशारों में अपनी भावनाओं को साझा करने की कोशिश करते हैं | ऐसे लोगों की बातें, बढ़ती उम्र के साथ अब उनको सबकुछ बेहतर समझ आने लगा है |
कवि कहते हैं कि मुझे अब भी रतन याद है | पर सबसे ज्यादा वो बेबसी याद आती है, जो उसकी माँ की आँखों में झलकती थी | शायद वह अपने बेटे की सुरक्षा और भविष्य को लेकर परेशान रहती थी…||
एक माँ की बेबसी का शब्दार्थ
• अदृश्य – जो दिखाई न दे, गायब
• अजूबा – आश्चर्यजनक
• भिन्न – अलग, पृथक
• इशारों – संकेतों
• भयभीत – डरा हुआ, ख़ौफजदा
• छटपटाहट – बेचैनी
• निहारती रहती – देखती रहती
• बेहतर – अच्छा(तुल्नात्मक रूप में)
• बेबसी – लाचारी
एक माँ की बेबसी प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 ‘अदंर की छटपटाहट’ उसकी आँखों में किस रूप में प्रकट होती थी ?
(क) चमक के रूप में
(ख) डर के रूप में
(ग) जल्दी घर लौटने की इच्छा के रूप में
उत्तर-(ख) डर के रूप में |
प्रश्न-2 “याद आती रतन से अधिक उसकी माँ की आँखों में झलकती उसकी बेबसी” रतन की माँ की आँखों में किस तरह की बेबसी झलकती होगी ?
उत्तर- बच्चा चाहे जैसा भी हो, वो अपने माँ-बाप की आँखों का तारा होता है | रतन की माँ भी दूसरे बच्चों की तरह बोलते हुए बेटे को सुनना चाहती होगी | साथ ही साथ वह अपने बेटे के भविष्य के बारे में भी सोचकर परेशान या चिंतित रहती होगी कि आख़िर उसके बाद रतन का क्या होगा | कौन उसका देखभाल करेगा या उसे समझेगा | यही बेबसी उनकी आँखों में झलकती होगी |
प्रश्न-3 ” थोड़ा घबराते भी थे हम उससे, क्योंकि समझ नहीं पाते थे उसकी घबराहटों को ”
• रतन क्या सोचकर घबराता होगा ?
उत्तर- रतन स्वाभाविक रूप से गूँगा था | मतलब बोल पाने में असमर्थ था | वह बच्चों को अपनी बात या भावनाएं इशारों से समझाने की कोशिश करता होगा | जब कोई उसकी बात समझ नहीं पाता होगा, तो वह घबरा जाता होगा |
प्रश्न-4 जो बच्चा बोल नहीं सकता, वह किस-किस बात की आशंका से ‘घबरहाट’ महसूस कर सकता है ?
उत्तर- जो बच्चा बोल नहीं सकता, वह निम्नलिखित बातों की आशंका से ‘घबराहट’ महसूस कर सकता है —
1. सबसे पहले तो उसे इस बात की आशंका से घबराहट महसूस होगी कि कोई उसकी बात या इशारों को समझ पाएगा या नहीं |
2. खुद को दूसरे बच्चों से अलग या कमतर महसूस करके यह सोचेगा कि उसकी इस कमी के कारण कोई उसके साथ खेलेगा या नहीं | इस बात की आशंका से भी उसे घबराहट महसूस हो सकती है |
3. उसके हमउम्र बच्चे उसे अपना दोस्त बनाएँगे या नहीं | इस बात की आशंका से भी उसे घबराहट महसूस हो सकती है |
4. और अगर दूसरे बच्चों के साथ वह खेलता भी है, तो क्या वह उन बच्चों के साथ खेल पाएगा या नहीं | इस बात की आशंका से भी उसे घबराहट महसूस हो सकती है |
प्रश्न-5 यह बच्चा कवि के पड़ोस में रहता था, फिर भी कविता ‘अदृश्य पड़ोस’ से शुरू होती है | इसके कई अर्थ हो सकते हैं, जैसे –
(क) कवि को मालूम नहीं था कि यह बच्चा ठीक-ठीक किस घर में रहता था |
(ख) पड़ोस में रहने वाले बाकी बच्चे एक-दूसरे से बातें करते थे, पर यह बच्चा बोल नहीं पाता था, इसलिए पड़ोसी होने के बावजूद वह दूसरे बच्चों के लिए अनजाना था |
इन दो में से कौन-सा अर्थ तुम्हें ज़्यादा सही लगता है ? क्या कोई और अर्थ भी हो सकता है ?
उत्तर- (ख) पड़ोस में रहने वाले बाकी बच्चे एक-दूसरे से बातें करते थे, पर यह बच्चा बोल नहीं पाता था, इसलिए पड़ोसी होने के बावजूद वह दूसरे बच्चों के लिए अनजाना था |