क्या ये तृतीय विश्व युद्ध की आहट है ?
सोच सोच के विचलित है मन
भयभीत आहत शितिल तन
अंतस को झकझोर रहा
दृष्टि का का पट अब खोल रहा।
क्या ये आहट है
तृतीय विश्वयुद्ध की।
सम्राज्यवाद का इतिहास
फिर से दोहराया जाएगा।
औपनिवेशिकता के विस्तार हेतु
मानव ही मानव के विरुद्ध शस्त्र बनाया जाएगा।
तुम भी सोचो और पहचानो
इस विपदा का आगम कारण
तीसरे विश्व युद्ध की आहट |
प्रकोप है या, प्रकृति जनित, या
प्रायोगिक कृत्य प्रभुत्व कारक।
सोचो युद्ध छिड़ा तो
स्तर क्या होगा इसका
किस कारण ये लड़ा जाएगा
और शस्त्र मारक क्या होगा इसका।
विश्व विजेता बनने की चाहत में
कितने युद्ध हुए धरा पर
कभी बाजारों पर वर्चस्व था चाहिए
और कभी दृष्टि प्राकृतिक संसाधनों पर।
अन्यथा नही आई कोरोना
निराधार नही है, ना कपोल कल्पित भय है।
इसके पीछे सोची समझी साजिश
इस बार चाहत में अंतरिक्ष विजय की मय है।
देख क्रुद्ध था भीतर से चीन
विचलित हो उसने फैलाया संताप
लक्ष्य उसका था प्रथम पश्चिम
फिर एशिया का था बनना प्रताप।
कूटनीति में ही नही
विज्ञान में भी अगुआ है भारत
आज विश्व के हर मंच पर
हो रहा भारत का स्वागत
मंगल पर भी पहुँच गया
सीमित संसाधनों में भी जीत गया।
अमेरिका से लेकर यूरोप तक
सब जगह है तिरंगा छाया।
आर्थिक ढांचा ढहा यूरोप का
सम्बल हीन बनाएगा।
संयुक्तराष्ट्र में सहानुभूति बटोरकर
अमेरिका रूस को बहलाएगा।
क्या इस बार लक्ष्य है
वर्चस्व अंतरिक्ष पर विजय पाने की।
जैविक शस्त्र सबसे ज्यादा संघारक
छद्म योद्धा विषाणु बनेंगे, विश्व विजय का कारक।।
हो सकता है विचार मेरा निराधार हो
चाहती हूँ मैं भी यही, इस सोच का ना कोई आधार हो।
वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति हमारी
अनुशरण करे दुनिया सारी।।
– प्रतिमा त्रिपाठी
राँची झारखण्ड