जागेगी नारी
अगर जगाना है नारी को,
प्रतिभा उसे बताना होगा।
भीतर उसके चिनगारी है,
उसको भान कराना होगा।
लिपटी जिम्मेदारी में वह,
नारी सम्मान पर कविता |
है उसको एहसास नहीं।
दीन-हीन बनी रहती वह,
शक्ति का आभास नहीं।
भीतर उसके सीता बैठी,
बैठी मीरा और राधा।
रानी झाँसी खड्ग उठाती,
पद्मिनी सा रूप नहीं बाधा।
सर्व चेतना, सर्व शक्तिमान,
निज गुण से फिर भी अनजान।
कर्त्तव्य निभाने वाली नारी,
चलती रहती जो दिनमान।
यदि जगाना आदिशक्ति को,
सभी साथ मिलकर आयें।
याद दिलावें खोई शक्ति फिर,
स्वयं जागें औरों को जगायें।
जाग गई यदि सोई नारी,
फिर इतिहास अमर होगा।
भारत माँ की नारी संज्ञा,
सार्थक और प्रवर होगा।
– अनिता तिवारी
बैकुंठपुर जिला – कोरिया
( छत्तीसगढ़) ,पिन – 497335