बड़े भाई साहब कहानी की समीक्षा

बड़े भाई साहब कहानी

बड़े भाई साहब कहानी बड़े भाई साहब कहानी की समीक्षा  munshi premchand ki kahani bade bhai sahab बड़े भाई साहब का सारांश बड़े भाई साहब प्रश्न उत्तर बड़े भाई साहब का चरित्र चित्रण bade bhai sahab class 10 summary bade bhai sahab kahani ka uddeshya bade bhai sahab extra question answer bade bhai sahab study rankers bade bhai sahab extra question answers hindi class 10 bade bhai sahab extra question and answers bade bhai sahab summary in english bade bhai sahab short summary in english प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब बड़े भाई साहब प्रश्न उत्तर बड़े भाई साहब का चरित्र चित्रण लिखिए बड़े भाई साहब question answers बड़े भाई साहब पाठ योजना – बड़े भाई साहब प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है।प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने दो भाइयों के मनोविज्ञान का वर्णन किया है। दोनों भाई छात्रावास में रहते हैं।बड़ा भाई छोटे भाई से पांच वर्ष बड़ा है। वह स्वयं खेल कूद की ओर ध्यान न देकर हर समय पड़ता रहता है। अपने इस व्यवहार तथा उपदेशों द्वारा वह छोटे भाई को अनुशासन में रखने का प्रयास करता है। छोटा भाई अपने को खेल के मैदान में जाने से रोक नहीं पाता।छोटे भाई का अपनी कमी को जानते हुए भी ,डांट खाते हुए भी खेल नहीं छोड़ पाना उसके बालसुलभ खिलाड़ी स्वभाव पर प्रकाश डाला है। वह टाइम टेबल बनाता रहता है पर कभी पालन नहीं कर पाता।
छोटा भाई डर के कारण मानसिक रूप से अशांत रहता है फिर भी खेलकूद के लालच से अपने को अलग नहीं कर पाता। लेकिन बड़े भाई साहब बार बार परीक्षा में फेल हो जाते हैं और छोटा अपनी कक्षा में प्रथम आता है। कहानी के अंत में लेखक ने बड़े भाई साहब के मन के रहस्य का खोला है।छोटे भाई को कर्तव्यबोध कराने के कारण वे खेल नहीं पाते है।पतंग उड़ाने को उनका मन भी करता था।लेकिन यदि वे सही रास्ते पर नहीं चलेंगे तो छोटे भाई का मार्गदर्शन कैसे करेंगे ? तभी एक पतंग कटकर उधर आती है। बड़े भाई साहब उचककर उसे पकड़ लेते हैं और हॉस्टल की तरफ दौड़ पड़ते हैं। छोटा भाई भी उनके पीछे दौड़ने लगता है।कहानीकार ने बड़े भाई साहब कहानी के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया है कि हम अच्छा स्वयं अच्छा दिखने के प्रयास में अपनी स्वाभाविक इच्छाओं को दबा देते हैं जिससे वास्तविक जीवन में गतिरोध पैदा हो जाता है।

बड़े भाई साहब कहानी का उद्देश्य bade bhai sahab kahani ka uddeshya

बड़े भाई साहब कहानी में प्रेमचंद जी ने बाल मनोविज्ञान का विश्लेषण किया है। यदि उन्हें उपदेश दिया जाए तो वह उनकी उम्र के विरुद्ध होता है क्योंकि बाल मन की इच्छाओं को दबाया जाता है। मन मार कर अच्छा बनने की कोशिश हमारे स्वाभाविक जीवन में गतिरोध उतपन्न कर देता है। इसीलिए बड़े भाई साहब ,छोटे भाई के मार्गदर्शन के अंतर्गत अपना विकास नहीं कर पाते हैं। कहानीकार यह सिद्ध करना चाहा है कि बचपन में पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद भी आवश्यक है तभी स्वास्थ्य व्यक्तित्व का विकास हो सकता है। इच्छाओं को दबाना कुंठा पैदा करता है। कर्तव्य पालन और आदर्श स्थापित करने के चक्कर में सामान्य जीवन की दिनचर्या को नहीं  बदलना चाहिए।
बड़े भाई साहब
बड़े भाई साहब
लेखक ने बड़े भाई साहब के माध्यम से शिक्षा पद्धति के उन दोषों का भी वर्णन किया है जो बच्चों को किताबी कीड़ा बनाते हैं और जीवन के व्यावहारिक ज्ञान से अलग रखते हैं। बड़े भाई साहब तोता रटंत विद्या के कारण बुद्धि का विकास नहीं कर सके।एक अच्छी शिक्षा पद्धति में पढ़ाई के साथ साथ खेलों का भी महत्व होना चाहिए। बुद्धि के साथ साथ व्यक्तित्व का विकास भी आवश्यक है।

बड़े भाई साहब कहानी शीर्षक की सार्थकता 

बड़े भाई साहब कहानी में के आधार पर बहुत ही सार्थक व उचित है। कहानी के मुख्य पात्र बड़े भाई साहब है जो अपने छोटे भाई से केवल पांच साल बड़े हैं। वे अपने छोटे भाई के प्रति जिम्मेदारी समझते हैं और उसका सही मार्गदर्शन करना चाहते हैं। इसीलिए वे अपनी बाल मन की इच्छाओं को भी देते हैं और हर समय पढ़ते रहते हैं ताकि छोटा भाई उनका अनुशरण कर सके।लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि बड़ा भाई उम्र ,अनुभव और कक्षा में बड़ा है इसीलिए वह छोटे को समझाना ,डाँटना ,उपदेश देना अपना कर्तव्य और अधिकार समझता है। छोटे भाई पर इसका प्रभाव भी पड़ता है पर वह बड़े भाई के उपदेशों का पालन नहीं कर पाता। पूरी कहानी में बड़े भाई साहब का ही हर जगह पूरी तरह प्रभाव है तथा लेखक अपने उद्देश्य को बड़े भाई साहब के माध्यम से कहने में सफल हुआ है।

बड़े भाई साहब का चरित्र चित्रण bade bhai sahab charitra chitran 

प्रेमचंद जी की प्रसिद्ध कहानी बड़े भाई साहब में बड़े भाई साहब ही मुख्य पात्र है। पूरी कहानी इन्ही पर घूमती रहती है। वे कहानी के मुख्य पात्र है जो अपने से पांच साल छोटे भाई के साथ हॉस्टल में रहते हैं।कहानी के प्रारंभ में छोटे भाई से तीन कक्षा आगे हैं। वे बहुत ही अध्ययनशील हैं। हमेशा पढाई में लीन रहते हैं। दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर जानवरों की तस्वीरों बनाया करते हैं या ऊंटपटांग वाक्य लिखते हैं।पढाई के मामले में उनका दृष्टिकोण भिन्न हैं।उनके विचार में यदि नींव मजबूत न हो तो भवन ढह जाता है। पढाई के लिए भी नींव मजबूत करने के लिए वे एक कक्षा में दो तीन साल लगाना उचित समझते हैं। हरदम पढ़ते रहने से उनका चेहरा तो मलिन हो जाता है लेकिन परिणाम फेल होने का निकलता है।
बड़े भाई साहब अपने कर्तव्य का पालन बहुत मजबूती से करते हैं।छोटे भाई पर कड़ी निगाह रखना ,समय समय पर उपदेश देना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं।छोटा भाई बड़े भाई की बात की अवहेलना तो नहीं करता परन्तु अपने को खेलने से भी रोक नहीं पाता। बड़े भाई के अन्दर भी खेलने की प्रवृत्ति है पर वे उसे प्रकट नहीं होने देना चाहते हैं। बच्चों में खेलने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। पर बड़े भाई साहब इस स्वाभाविक प्रवृत्ति पर अंकुश लगा कर पढ़ते हैं। यह रहस्य एक दिन वह छोटे भाई के सामने खोल देते हैं कि उनका मन भी खेलने को करता है। इसका परिचय तब मिलता है जब वे पतंग लूटने को दौड़ते हैं।वे अपने छोटे भाई से प्यार करते हैं इसीलिए उसे समय समय पर समझाते व उपदेश देते रहते हैं। वह एक अभिभावक का व्यवहार करते हैं। 

बड़े भाई साहब प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ या कहानी के अनुसार, बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सावल के रूप में यही पूछते थे कि — “तुम कहाँ थे” ? 
प्रश्न-2 दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब दूसरी बार भी छोटा भाई पास हो गया, तो उसकी मनमानी में बढ़ोत्तरी हो गई | उसे अभिमान हो गया | उसे लगने लगा कि वह कम भी पढ़ेगा तो अच्छे नम्बरों से पास हो ही जाएगा | उसने पुनः अधिक समय खेल-कूद में ही व्यतीत करने से खुद को नहीं रोका | 
प्रश्न-3 बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ या कहानी के अनुसार, बड़े भाई साहब अकसर दिमाग को आराम देने के लिए तरह-तरह के कार्यों को अंजाम देते थे | वे कभी किताब के किनारों पर कुत्तों, चिड़ियों, बिल्लियों आदि की तस्वीर बनाते, तो कभी एक ही शब्द की पुनरावृत्ति करते | कभी-कभार एक शेर को बार-बार नकल करते रहते थे | कई बार तो ऐसा होता था कि वे ऐसे शब्दों की रचना कर बैठते, जिनका कोई अर्थ निकलना मुश्किल होता था | 
प्रश्न-4 छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया ? 

उत्तर- छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय ढेरों बातें सोची, कि वह पढ़ाई में ध्यान देगा, अपने बड़े भाई को शिकायत का मौका नहीं देगा | इन बातों को परिपालन हेतु रात 11 बजे तक विषयवार कार्यक्रम बनाया गया | लेकिन ज्यों ही पढ़ाई या सोची गई बातों पर चलने का समय हुआ तो छोटे भाई को पढ़ाई करते वक़्त खेल-कूद से जुड़ी गतिविधि याद आने लगी | मैदान की हरियाली, हवा के मंद-मंद झोंके उसे अपनी ओर आकर्षित करने लगे | अंतत: वह टाइम-टेबिल का पालन नहीं करने में असफल रहा | 
प्रश्न-5 एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ? 

उत्तर- एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी प्रतिक्रिया छोटे भाई के विपरीत थी | वे छोटे भाई से बहुत गुस्सा में थे | उन्होंने छोटे भाई को बहुत डाँटा और उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने को कहा | बड़े भाई ने गुल्ली-डंडा के खेल की खूब बुराई की | 
प्रश्न-6 बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं, क्योंकि वे अपने छोटे भाई से उम्र में पाँच वर्ष अधिक थे | देखा जाए तो वे अपने छोटे भाई के अभिभावक के तौर पर थे | बड़े भाई साहब के अंदर भी खेल-कूद की गतिविधियों में शामिल होने इच्छा रहती थी, लेकिन छोटे के प्रति जिम्मेदारियों ने उन्हें इन सब कामों से रोक रखा था | 
प्रश्न-7 बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता ? अपने विचार प्रकट कीजिए | 

उत्तर – जी हाँ, यदि बड़े भाई की डाँट-फटकार न मिलती, तो छोटा भाई कक्षा में अव्वल दर्जे से पास नहीं हो पाता | क्योंकि छोटा भाई अनुभव का कच्चा था | वह अपना अच्छा-बुरा समझने में असमर्थ था | बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार की वजह से ही छोटा भाई शिक्षा का महत्व समझ पाया और अनुशासित हो सका | यही कारण है कि वह अव्वल नंबरों से पास हो पाया | 
प्रश्न-8 बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है ? 

उत्तर- बड़े भाई साहब के अनुसार, जिदंगी के अनुभव किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है | बड़े भाई साहब का मानना है कि हमें गलत-सही की जानकारी अनुभवों से ही होती है | जब हम व्यावहारिक रूप से हर परिस्थिति का सामना करते हैं, तब हम ज्यादा सशक्त और अनुभवी बनते हैं | 
प्रश्न-9 बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं — 
• बड़े भाई साहब अध्ययनशील प्रवृत्ति के इंसान हैं | 
• इनमें वाकपटुता के गुण भी हैं, अपने छोटे भाई को तरह-तरह के उदाहरणों का इस्तेमाल करके समझाते रहते हैं | 
• एक जिम्मेदार किस्म के इंसान हैं | 
• उनकी बातों से लगता है कि वे एक अनुभवी व्यक्ति भी हैं | 

बड़े भाई साहब पाठ का शब्दार्थ 

• टास्क – कार्य
• जलील – अपमानित
• प्राणांतक – प्राण का अंत करने वाला
• कांतिहीन – चेहरे पे चमक ना होना
• सहिष्णुता – सहनशीलता
• कनकौआ – पतंग
• अदब – इज्जत
• जहीन – प्रतिभावान
• मिहनत (मेहनत) – परिश्रम
• लताड़ – डाँट-डपट
• सूक्ति-बाण – तीखी बातें
• स्कीम – योजना
• अमल करना – पालन करना
• अवहेलना – तिरस्कार
• नसीहत – सलाह
• फजीहत – अपमान
• इम्तिहान – परीक्षा
• लज्जास्पद – शर्मनाक
• शरीक – शामिल
• आतंक – भय
• अव्वल – प्रथम
• आधिपत्य – प्रभुत्व
• स्वाधीन – स्वतंत्र
• महीप – राजा
• मुमतहीन – परीक्षक
• प्रयोजन – उद्देश्य
• खुराफात – व्यर्थ की बातें
• हिमाकत – बेवकूफी
• किफ़ायत – बचत
• तजुरबा – अनुभव
• बदहवास – बेहाल
• मुहताज (मोहताज) –दूसरे पर आश्रित
• तालीम – शिक्षा
• पुख्ता – मजबूत
• तम्बीह – डाँट-डपट
• सामंजस्य – तालमेल
• मसलन – उदाहरणतः
• इबारत – लेख
• चेष्टा – कोशिश
• जमात – कक्षा
• हर्फ़ – अक्षर  | 


विडियो के रूप में देखें – 

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