प्रेम
प्रेम की भाषा अनमोल
प्रेम में शक्ति अपार
बल में जिसके कान्हा ने
उठा लिया पर्वत विशाल
और बांसुरी बजाने को
हरदम तैयार
धनु प्रेम की सुन
गोपी संग राधा दीवानी
बिना पाए भी पा लिया
बिन बोले भी समझ लिया
चल पड़े धुन में मगन गो,
ग्वाल बाल
प्रेम की भाषा अनमोल
जहां प्रेम हो वहां
बल की क्या जरूरत
हुई दीवानी मीरा, देख कृष्ण की मूरत
कोई दवा फिर काम ना आए
विष प्याला भी अमृत बन जाए
बोली हमेशा हरि हरि बोल
प्रेम की भाषा अनमोल
रिश्तो की मिठास
और मीठी होती जाए
निभाने को इन्हें जो प्रेम की चीनी घोली जाए
कोई पराक्रम फिर इन्हें तोड़ ना पाए
मजबूत बंधन, बेशक महीन डोरी जंजाल
प्रेम की भाषा अनमोल
प्रेम में शक्ति अपार
प्रेम के आगे पराक्रम बेकार
प्रेम में डूबा सारा संसार
ना फिर काम आए कोई तोल मोल
प्रेम की भाषा अनमोल