सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय

सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय

सियारामशरण गुप्त का जीवन परिचय siyaram sharan gupt jeevan parichay सियारामशरण गुप्त जीवनी लेखक सियारामशरण गुप्त का व्यक्तित्व सियाराम शरण जीवन परिचय सियारामशरण गुप्त का जन्म Siyaramsharan Gupt Ka Jivan Parichay Siyaram Sharan Gupt Biography in Hindi – सियारामशरण गुप्त जी हिंदी साहित्य में प्रमुख कवि व गद्यकार के रूप में जाने जाते हैं।गांधीवादी विचारधारा के अनुसार साहित्य सृजन में आपका नाम अग्रणी रहा है।यही कारण है कि आपकी रचनाओं में सत्य -अहिंसा व करुणा की दिव्य चमक मिलती है।सियारामशरण गुप्त का जन्म सन १८९५ ई में झांसी के चिरगाँव नामक स्थान पर हुआ था।इनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त था। सन १९१० में इनकी प्रथम कविता इंदु प्रकाशित हुई। वे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुज थे।अपने अग्रज की भाँती वे भी अपने आचार-विचार में सौम्य और सरल व्यक्ति थे।सियारामशरण गुप्त हिंदी के मूर्धन्य कथाकार और कवि हैं।उनकी कला चेतना में गांधीवादी विचारधारा का पूर्ण परिपाक मिलता है।उनकी मानसिकता और उनका साहित्य अहिंसा ,करुणा और प्रेम की उदात्त भावनाओं से ओतप्रोत हैं।व्यक्तित्व के अनुरूप उनका साहित्य भी उत्तम मानवीय भावनाओं से अनुप्राणित हैं। सन १९४१ में उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी द्वारा “सुधाकर पदक’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपका निधन लम्बी बीमारी के बाद सन १९६३ में हुआ। 

सियारामशरण गुप्त की काव्यगत विशेषताएँ

सियारामशरण गुप्त
सियारामशरण गुप्त

सियारामशरण गुप्त जी की रचनाओं की सर्वप्रथम विशेषता उनमें निहित वेदना और करुणा के भाव हैं। उनकी रचनाओं में बुद्धि के तर्क -वितर्क की अपेक्षा ह्रदय की कोमल भावनाओं को अधिक महत्ता मिली है। दार्शनिक दृष्टि से वे गाँधी जी के सत्य और अहिंसा के सिधान्तों के पोषक हैं। जीवन के प्रति उनके अहिंसावादी दृष्टिकोण ने उनकी रचनाओं में भी पवित्रता,सादगी और सहानुभूति भर दी है। उनकी कृतियों का अभिव्यक्ति पक्ष अत्यंत समृद्ध है। भाषा में वे बोलचाल और व्यवहार की शब्दावली को स्थान देते हैं। इसी कारण उनका साहित्य पाठक के ह्रदय को स्पर्श करने में सक्षम है। उनकी गद्य रचनाओं में प्राय: वर्णनात्मक,चित्रात्मक ,विचारात्मक तथा भावात्मक शैली के दर्शन होते हैं। 

सियारामशरण गुप्त की भाषा शैली 

सियारामशरण गुप्त की भाषा सरल एवं व्यावहारिक शब्दावली लिए हुए हैं। इनकी भाषा मुख्यतः खड़ी बोली है।संस्कृत की तत्सम शब्दावली यदा-कदा दृष्टिगोचर होती है। इन्होने वर्णनात्मक,चित्रात्मक ,विचारात्मक तथा भावात्मक शैली को अपनाया है। 

सियारामशरण गुप्त की रचनाएँ  

हिंदी साहित्य में सियारामशरण गुप्त जी विशेषतः कवि रूप में प्रसिद्ध है। इनकी रचनाओं का वर्णन निम्नलिखित हैं – 
  • काव्य कृतियाँ – विवाद ,अनाथ ,आद्रा,उन्मुक्त ,गोपियाँ ,मृण्मयी आदि। 
  • नाटक – पुण्य पर्व 
  • उपन्यास – गोद ,नारी तथा अंतिम आकांक्षा। 
  • कहानी संग्रह – मानुषी। 
  • निबंध – झूठ -सच।  

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