एक ज्ञान -पिपासु साधिका ने अपने हाथों से बुद्ध की मूर्ति बनायीं और उसे स्वर्णिम वस्त्र में लपेट दिया।साधिका जहाँ जाती,अपनी बुद्ध -मूर्ति को हमेशा साथ रखती।
एक बार साधिका एक आश्रम में ठहरी थी। आश्रम में अनेक बुद्ध -मूर्तियाँ थीं . साधिका ने अपनी बुद्ध मूर्ति के सम्मुख अगरबत्ती जलानी चाही। इस अगरबत्ती की सुगंध दूसरी मुर्तियों तक न पहुँचें ,इसके लिए साधिका के एक उपाय खोज निकाला । उसने एक नाली बनायीं और बुद्ध की नाक पर लगा दी। इससे जलती अगरबत्ती का धुँआ सिर्फ बुद्ध की मूर्ति की नाक तक पहुँचता था। हुआ ये कि साधिका के स्वर्णिम बुद्ध की नाक धुएँ से काली हो गयी और वे भद्दे लगने लगे।