Rakhi Ka Mulya Summary Question Answer

राखी का मूल्य – हरिकृष्ण प्रेमी

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राखी का मूल्य Rakhi Ka Mulya एकांकी का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या एकांकी  राखी का मूल्य , लेखक हरिकृष्ण प्रेमी जी के द्वारा लिखित है ⃒ इस एकांकी के माध्यम से रानी कर्णावती द्वारा हुमायूँ को राखी भेजकर मदद माँगने की कथा का वर्णन किया गया है ⃒ तत्पश्चात् हुमायूँ भी राखी मिलने पर शत्रुता भुलाकर चित्तौड़ की रक्षा के लिए सेनाएँ भेजकर राखी का मान रखते हैं ⃒ 
प्रस्तुत एकांकी में आठ किरदार या पात्र हैं, जिनके नाम हैं – रानी कर्णावती, बाघ सिंह, जवाहरीबाई, हुमायूँ, तातार खां, हिन्दूबेग, सिपाही और दूत ⃒ प्रस्तुत एकांकी के पहले दृश्य के अनुसार, स्थान चित्तौड़ का होता है तथा महारानी कर्णावती, जवाहरीबाई और बाघ सिंह बैठे हुए बातचीत कर रहे होते हैं ⃒ जब महारानी कर्णावती बाघ सिंह को संबोधित करते हुए युद्ध का हाल पूछती है तो जवाब में बाघ सिंह बोलता है – राजपूत वीरता से लड़ रहे हैं, किन्तु एक तो हमारी संख्या बहुत कम है, दूसरे शत्रुओं का तोपखाना आग उगल रहा है ⃒ उसका मुकाबला तलवारों से तो हो नहीं सकता, लगता है हमारी मौत निश्चित है ⃒ हम हँसते-हँसते मरेंगे और बहुतों को मारकर, पर दुःख है तो यही कि मरकर भी मेवाड़ के मान की रक्षा न कर पाएँगे ⃒ तत्पश्चात्, जवाब में महारानी कर्णावती बोलती है – इस समय मेरे स्वामी नहीं हैं, वरना उनके रहते मेवाड़ की ओर आँख उठाने का किसी में साहस नहीं था ⃒ 
Rakhi Ka Mulya Summary Question Answer
राखी का मूल्य

बात-चीत के दौरान महारानी कर्णावती ने उक्त समस्या से बचने के लिए बाघ सिंह से एक उपाय साझा करते हुए कहा – मैं हुमायूँ को राखी भेजूँगी ⃒ महारानी की बात सुनकर जब जवाहरीबाई ने प्रतिक्रिया ज़ाहिर किया कि – क्या आप एक मुसलमान को भाई बनाओगी ? तब उत्तर में महारानी ने कहा – चौंकती क्यूँ हो, जवाहरी ! मुसलमान भी इंसान हैं, उनकी भी बहनें होती हैं ⃒ क्या सिर्फ इसलिए कि वे ईश्वर को ख़ुदा कहते हैं और मंदिर न जाकर मस्जिद जाते हैं, हमें उनसे घृणा करनी चाहिए ?  तभी बाघ सिंह अपनी बात रखते हुए कहता है – यह इतना आसान नहीं, क्या हुमायूँ पुराना बैर भूल सकेंगे ? सीकरी के युद्ध के ज़ख्मों के निशान क्या आसानी से मिटा सकेंगे ? तत्पश्चात्, महारानी सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए बोलती है – हमारी राखी वह शीतल दवा है जो सारे घाव भर देगी ⃒ यह वह वरदान है, जो सारे वैरभावों को जलाकर भस्म कर देती है ⃒ राखी पाने के बाद कोई वैर-विरोध याद नहीं रह जाता ⃒ 

महारानी कर्णावती भाईचारे और मनुष्यता पर विश्वास करके हुमायूँ की परीक्षा लेने के मकसद से राखी और पत्र बाघ सिंह को सौंपती हुई कहती हैं – लीजिए, यह राखी और यह पत्र, आज ही दूत के साथ बादशाह हुमायूँ के पास भेजिए ⃒  इसी दौरान जवाहरीबाई भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहती है कि – अच्छी बात है, हम भी देखेंगे कि कौन कितने पानी में है ⃒ इसी बहाने उनकी मनुष्यता की परीक्षा हो जाएगी और यह भी प्रकट हो जाएगा कि एक राजपूतानी की राखी में कितनी ताक़त है ⃒ 
प्रस्तुत एकांकी के दूसरे दृश्य के अनुसार, बिहार में गंगा-तट पर हुमायूँ का फौज़ी डेरा है ⃒ अपने ख़ास तंबू में हुमायूँ, उसका सेनापति हिन्दूबेग और तातार खां बैठे हुए हैं ⃒ एक पहरेदार का प्रवेश होता है और हुमायूँ को संबोधित करते हुए बोलता है – जहाँपनाह ! 
हुमायूँ – क्या है ? 
पहरेदार – मेवाड़ से एक दूत आया है ⃒ 
हुमायूँ मेवाड़ से आए दूत को बुलवा लेता है और उस दूत का अभिनन्दन करते हुए उसके दिए पत्र को स्वीकारता है ⃒ जब उस पत्र को हुमायूँ पढ़ता है तो कहीं न कहीं विचारमग्न हो जाता है ⃒ इतने में जब हिन्दूबेग ने हुमायूँ को संबोधित करते हुए पूछा कि – क्या सपना देखने लगे जहाँपनाह ? महारानी कर्णावती ने क्या जादू का पिटारा भेजा है ? तो उसके जवाब में हुमायूँ बोलता है – ‘सचमुच हिन्दूबेग, उन्होंने जादू का पिटारा ही भेजा है ⃒ मेरे सूने आसमान में उन्होंने मुहब्बत का चाँद चमकाया है ⃒ उन्होंने मुझे राखी भेजी है, मुझे अपने भाई बनाया है ⃒ (दूत को संबोधित करते हुए) बहन कर्णावती से कहना, हुमायूँ तुम्हारी माँ के पेट से पैदा नहीं हुआ तो क्या हुआ, वह तुम्हारे सगे भाई से बढ़कर है ⃒ कह देना, मेवाड़ की इज्ज़त हमारी इज्ज़त है, जाओ !’ 
तातार खां और हिन्दूबेग ने पुराने ज़ख्म को कुरेदकर हुमायूँ को ख़ूब बहकाने की कोशिश किए, पर उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी ⃒ हुमायूँ उस मुहब्बत रूपी राखी को पाकर अपनी खुशकिस्मती माना और बहादुरशाह से मेवाड़ की हिफ़ाजत करने के लिए, कूच करने के उद्देश्य से अपनी फौज़ की तैयारी का हुक्म सुना दिया ⃒ उसने साफ़ लफ़्ज़ों में यह कह दिया कि मैं दुनिया को बता देना चाहता हूँ कि हिन्दुओं के रस्मों-रिवाज़ मुसलमानों के लिए भी उतने ही प्यारे हैं ⃒ हम हर कीमत पर उनकी हिफाज़त करेंगे ⃒ हुमायूँ, महारानी कर्णावती के द्वारा भेजी गई राखी को अपने हाथ में बाँध लेता है… || 
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राखी का मूल्य एकांकी के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 – रानी कर्णावती को मदद की आवश्यकता क्यूँ पड़ी ?

उत्तर- रानी कर्णावती को मदद की आवश्यकता इसलिए पड़ी, ताकि शत्रुओं के आक्रमण से मेवाड़ की रक्षा की जा सके ⃒ 
प्रश्न-2 – रानी कर्णावती को युद्ध में विजय पाने का क्या उपाय सूझा ?

उत्तर- रानी कर्णावती को लगा कि युद्ध के इस मुश्किल वक़्त में हुमायूँ ही मदद कर सकता है, इसलिए रानी ने हुमायूँ को राखी भेजकर उसे भाई बनाने का उपाय सोचा ⃒ 
प्रश्न-3 – कर्णावती द्वारा भेजी राखी पाकर हुमायूँ  को कैसा लगा ?

उत्तर- कर्णावती द्वारा भेजी राखी पाकर हुमायूँ  ग्रवित हो उठा और अत्यधिक प्रसन्न हो गया ⃒ 
प्रश्न-4 – “मैं इस रिश्ते की इज्ज़त रखूँगा ⃒” – इस  कथन का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- उक्त कथन का अभिप्राय यह है कि – हुमायूँ  मेवाड़ की महारानी का पत्र पाकर मानो यह बोल उठा कि – मैं रानी कर्णावती को बहन के रूप में स्वीकारता हूँ और मैं इस रिश्ते (भाई-बहन) की इज्ज़त के ख़ातिर मेवाड़ की रक्षा करने के लिए तत्पर हूँ और वचनबद्ध हूँ ⃒ 
प्रश्न-5 – बाघ सिंह अपने किस दुःख का वर्णन रानी कर्णावती से कर रहे थे ?

उत्तर- बाघ सिंह को एहसास था कि वे मरकर भी मेवाड़ की रक्षा करने में सफल नहीं हो पाएँगे, इसी बात का उन्हें दुःख था, जिस दुःख का वर्णन वे रानी कर्णावती से कर रहे थे ⃒ 
प्रश्न-6 – तातार खां और हिन्दूबेग हुमायूँ की बात का विरोध क्यों कर रहे थे ?

उत्तर- स्वर्गीय महाराणा संग्राम सिंह (महारानी कर्णावती के पति) ने यह कसम खाई थी कि वे मुगलों को हिन्दुस्तान से जबतक खदेड़ नहीं देंगे, तब तक चित्तौड़ में कदम नहीं रखेंगे ⃒ Rakhi Ka Mulya Summary Question Answer इन्हीं बातों को तातार खां और हिन्दूबेग नहीं भूले थे ⃒ इसलिए वे हुमायूँ की बात का विरोध कर रहे थे ⃒ 
प्रश्न-7 – एकांकी के आधार पर कर्णावती और हुमायूँ का चरित्र-चित्रण कीजिए – 

उत्तर –  निम्नलिखित उत्तर है – 
• महारानी कर्णावती का चरित्र-चित्रण – मेवाड़ की महारानी कर्णावती उदार प्रवृति, समृद्ध विचारों और विवेकशीलता के गुणों से परिपूर्ण एक राजपूतानी महिला व शासिका थी ⃒ उनके अंदर सभी धर्मों का आदरभाव भी निहित था ⃒ इसलिए जब उन्हें लगा कि बहादुरशाह का सामना करने में वे असमर्थ हैं, तो ऐसा उपाय किया कि मुग़ल बादशाह हुमायूँ पूर्व की सारी शत्रुता को भुलाकर मेवाड़ राज्य की रक्षा के लिए फ़ौरन तत्पर हो गया ⃒ 
• हुमायूँ का चरित्र-चित्रण – हुमायूँ के अंदर संवेदनशीलता का भाव भरा था ⃒ उसमें धार्मिक कट्टरता का अभाव था ⃒ हुमायूँ हिन्दुस्तान के सभी धर्मों की संस्कृतियों का इज्ज़त करता था ⃒ हुमायूँ भाईचारे की भावना को साथ लेकर चलता था ⃒ कहा जा सकता है कि हुमायूँ एक उदार प्रवृति का मुग़ल शासक था, जो शत्रुता के बावजूद भी महारानी कर्णावती की मदद करने के लिए तत्क्षण तैयार हो गया था ⃒ 
प्रश्न-8 – एक शब्द में उत्तर दीजिए – 

उत्तर-  निम्नलिखित उत्तर है – 
• मेवाड़ पर किसने हमला किया था ? 
उत्तर- बहादुरशाह 
• कर्णावती को युद्ध का हाल कौन बता रहा था ? 
उत्तर- बाघ सिंह 
• कर्णावती किसे भाई बनाना चाहती थी ?
उत्तर- हुमायूँ 
• मुसलमान को भाई बनाने के विरोध में कौन था ? 
उत्तर- जवाहरीबाई 
• कर्णावती की भेंट को ‘जादू का पिटारा’ किसने कहा ? 
उत्तर- हिन्दूबेग 
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भाषा से 
प्रश्न-9 – दिए गए शब्दों के हिंदी पर्याय लिखिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
• किस्मत – भाग्य 
• खुशकिस्मत – भाग्यशाली 
• इज्ज़त – आदर 
• हिफ़ाज़त – रक्षा 
• तारीफ़ – प्रशंसा 
• कुरबानी – बलिदान 
• अफ़सोस – दुःख 
• फौज़ – सेना 
प्रश्न-10 – नीचे लिखे शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
• वीर – वीरता 
• कायर – कायरता 
• शीतल – शीतलता 
• गवाह – गवाही 
• पढ़ना – पढ़ाई 
• लिखना – लिखाई 
• सुखी – सुख 
• चमकना – चमक 
प्रश्न-11 – दिए गए वाक्यों के काल बदलकर लिखिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
• राजपूत वीरता से लड़ रहे हैं ⃒ (भविष्यतकाल)
उत्तर- राजपूत वीरता से लड़ेंगे ⃒ 
• मैं हुमायूँ को राखी भेजूँगी ⃒ (भूतकाल)
उत्तर- मैं हुमायूँ को राखी भेजी थी ⃒ 
• उनके रहते मेवाड़ की ओर आँख उठाने का साहस  किसमें था ⃒ (वर्तमानकाल)
उत्तर- उनके रहते मेवाड़ की ओर आँख उठाने का साहस किसमें है ⃒ 
• महारानी कर्णावती ने क्या जादू का पिटारा भेजा है ? (भविष्यतकाल)
उत्तर- महारानी कर्णावती ने क्या जादू का पिटारा भेजेगी ? 
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राखी का मूल्य पाठ के शब्दार्थ 

• आग उगल रहा – गोले बरसाना (मुहावरा)
• प्रसंग – विषय 
• आँख उठाने – बुरी नज़र डालना (मुहावरा)
• प्राण काँपा – भयभीत होना (मुहावरा)
• स्वाहा कर – नष्ट कर देना (मुहावरा)
• काफ़िला – पैदल जाने वाले यात्रियों का समूह 
• सम्मति – राय 
• खुशकिस्मती – सौभाग्य 
• हिफ़ाज़त – रक्षा 
• न्योता – निमंत्रण 
• गवाह – साक्षी 
कुर्बानियाँ – बलिदान 
• कूच – युद्ध के लिए आगे बढ़ना   ⃒ 
                              
© मनव्वर अशरफ़ी 

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