तूफानों की ओर कविता का भावार्थ प्रश्न उत्तर मूल भाव

तूफानों की ओर – शिवमंगल सिंह ‘​सुमन’

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तूफानों की ओर कविता का भावार्थ व्याख्या

तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !
आज सिंधु ने विष उगला है 
लहरों का यौवन मचला है 
आज हृदय में और सिंधु में 
साथ उठा है ज्वार ⃒ 
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ! 
लहरों के स्वर में कुछ बोलो 
इस अंधड़ में साहस तौलो 
कभी-कभी मिलता जीवन में 
तूफ़ानों का प्यार ⃒ 
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ! 

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी के द्वारा रचित कविता  तूफ़ानों की ओर  से उद्धृत हैं ⃒ इस कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को सदैव संघर्षरत रहते हुए, हर बाधा, हर चुनौतियों का सामना करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहे  हैं ⃒ कवि माँझी अर्थात् मनुष्य को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम अपनी पतवार अर्थात् नाव खेने वाला चप्पू को उस ओर घुमा दो, जिस ओर तूफ़ान उठ रहे हैं ⃒ आज सागर ने क्रोध में आकर ज़हर उगला है ⃒ लहरें अपनी यौवनता में मचल उठीं हैं ⃒ कवि कहते हैं कि आज सिंधु अर्थात् सागर और मनुष्य रूपी नाविक के मन में साथ-साथ ज्वार उठा है अर्थात् हर बाधाओं से डटकर सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ते जाने का उत्साह हृदय में उमड़ पड़ा है ⃒ 
कवि मनुष्यों को प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि अंधड़ और तूफ़ान रूपी चुनौतियों का सामना तुम साहस और पूरी निर्भीकता से करो ⃒ जीवन में ऐसे संघर्ष रूपी तूफ़ानों का दस्तक देना कभी-कभी ही संभव हो पाता है और जो मनुष्य दृढ़संकल्पित होकर जीवन में आए तूफ़ानों का सामना करते हैं, तो तूफ़ान भी ऐसे साहसी मनुष्यों से प्रेम करते हैं ⃒ कवि माँझी अर्थात् मनुष्य को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम अपनी पतवार अर्थात् नाव खेने वाला चप्पू को उस ओर घुमा दो, जिस ओर तूफ़ान उठ रहे हैं ⃒ 
तूफानों की ओर कविता का भावार्थ प्रश्न उत्तर मूल भाव
तूफानों की ओर

यह असीम निज सीमा जाने 
सागर को भी यह पहचाने 
मिट्टी के पुतले मानव ने 
कभी न मानी हार ⃒ 
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ! 
सागर की अपनी क्षमता है 
पर माँझी भी कब थकता है 
जब तक साँसों में स्पंदन है 
उसका हाथ नहीं रुकता है, 
इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पार ⃒ 
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ! 

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी के द्वारा रचित कविता  तूफ़ानों की ओर  से उद्धृत हैं ⃒ इस कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को सदैव संघर्षरत रहते हुए, हर बाधा, हर चुनौतियों का सामना करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहे  हैं ⃒ कवि कहते हैं कि मनुष्य अपनी असीम सीमा या शक्ति को जानता है और सागर की विकराल शक्ति से भी परिचित है ⃒ मनुष्य यह भी जानता है कि उसका शरीर नाशवान है अर्थात् उसका क्षय होना तय है, फिर भी वह अपने जीवन में आए चुनौती रूपी तूफ़ानों से कभी नहीं घबराता है और न ही बाधाओं के आगे घुटने टेकता है ⃒ अतः मनुष्य कभी हार नहीं मानता है ⃒ 
कवि कहते हैं कि सागर की अपनी शक्ति व क्षमता है, पर माँझी भी उन शक्तियों से मुकाबला करते हुए कभी नहीं थकता है ⃒ जब तक उसकी साँसे चलती रहती है, वह निरंतर नाव खेता रहता है ⃒ उसके हाथ पतवार चलाते रहते हैं ⃒ अपने इसी दृढ़संकल्प और आत्मविश्वास के बलबूते वह सातों सागर को पार कर लिया है ⃒ अर्थात् विकराल चुनौतियों और बाधाओं को चीरते हुए अपनी मंजिल को हासिल कर लिया  है ⃒ कवि माँझी अर्थात् मनुष्य को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम अपनी पतवार अर्थात् नाव खेने वाला चप्पू को उस ओर घुमा दो, जिस ओर तूफ़ान उठ रहे हैं ⃒ 

तूफानों की ओर कविता का सारांश मूल भाव

प्रस्तुत पाठ या कविता  तूफ़ानों की ओर , कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी के द्वारा रचित है ⃒ इस कविता के माध्यम से कवि ने संघर्षरत रहते हुए, हर बाधा, हर चुनौतियों का सामना करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दिया है ⃒ जिस तरह एक नाविक लहरों के थपेड़ों का दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए, भयभीत हुए बिना तूफ़ानों से लोहा लेते हुए अपनी मंजिल तक पहुँचता है, ठीक उसी तरह मनुष्य को अपने जीवन में आने वाली तमाम तरह की चुनौतियों का बेख़ौफ़ होकर सामना करना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए… ⃒ ⃒ 

तूफानों की ओर कविता के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 – कवि नाविक से क्या कह रहा है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि नाविक से कह रहा है कि वह अपनी पतवार तूफ़ानों की ओर मोड़ दे ⃒ 
प्रश्न-2 – समुद्र ने किस प्रकार का रूप धारण किया हुआ है ?

उत्तर- समुद्र ने विकराल रूप धारण किया हुआ है ⃒ इस कविता के मध्यम से समुद्र के विष उगलने की बात कही गई है ⃒ 
प्रश्न-3 – कवि ने मानव को ‘मिट्टी का पुतला’ क्यों कहा है ?
 
उत्तर- वास्तव में देखा जाए तो मनुष्य का शरीर नश्वर है अर्थात् एक रोज क्षय हो जाएगा और मिट्टी में ही विलीन हो जाएगा ⃒ शरीर मिट्टी का बना एक ढाँचा मात्र है, इसलिए कवि ने मानव को ‘मिट्टी का पुतला’ कहा है ⃒ 
प्रश्न-4 – अंधड़ में साहस को कैसे तौला जा सकता है ? 

उत्तर- अंधड़ से आशय कठिन चुनौतियों या बाधाओं से है, ऐसी बाधाओं का डटकर मुकाबला करना और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर रहना ही हमारे साहसी होने का प्रमाण है ⃒ जो ऐसी चुनौतियों या परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाते, वे अपने लक्ष्य से पीछे छूट जाते हैं ⃒ 
प्रश्न-5 – कवि ने मानव की किस विशेषता की ओर इशारा किया है ? 

उत्तर- मनुष्य यह भलीभांति जानता है कि उसका शरीर नश्वर है, फिर भी वह आख़िरी साँस तक विपरीत चुनौतियों से लड़ता रहता है ⃒ कवि ने मानव की इसी विशेषता की ओर इशारा किया है ⃒
प्रश्न-6 – कविता के आधार पर मिलान कीजिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
आज सिंधु ने विष उगला है – लहरों का यौवन मचला है ⃒ 
कभी-कभी मिलता जीवन में – तूफ़ानों का प्यार ⃒ 
यह असीम निज सीमा जाने – सागर को भी यह पहचाने ⃒ 
सागर की अपनी क्षमता है – पर माँझी भी कब थकता है ⃒ 
मिट्टी के पुतले मानव ने – कभी न मानी हार ⃒ 
प्रश्न-7 – सही उत्तर पर √ लगाइए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
कवि के हृदय और सिंधु में क्या अंतर है ? – ज्वार 
कविता में तूफ़ान किसका प्रतीक है ? – जीवन की कठिनाइयों का 
माँझी कब तक पतवार चलाता रहता है ? – जब तक उसकी साँसों में स्पंदन है 
भाषा से 
प्रश्न-8 – इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
सिधु – सागर , जलधि 
मानव – इंसान , मनुष्य 
नाव – तरणी , डोंगी 
वायु – समीर , हवा 
प्रश्न-9 – दिए गए शब्दों के विलोम लिखिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
अमृत – विष 
जीत – हार 
पराया – अपना 
सीमित – असीमित 
बुढ़ापा – जवानी 
जीवन – मृत्यु 
प्रश्न-10 – इन शब्दों के समान तुकवाले ऐसे शब्द लिखिए जो कविता में न आए हों – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
सागर – गागर 
सीमा – बीमा 
क्षमता – ममता 
हार – भार 

तूफानों की ओर कविता का अर्थ

निज – अपना 
पतवार – चप्पू या नाव खेने की लंबी लकड़ी 
सिंधु – सागर 
विष – ज़हर 
ज्वार – समुद्र की जलतरंगों का चढ़ाव 
अंधड़ – तेज आँधी 
असीम – सीमाहीन, जिसकी कोई सीमा न हो 
क्षमता – योग्यता 
माँझी – नौका खेनेवाला, नाविक 
स्पंदन – धड़कन, कंपन 

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