तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||
रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |
तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |
काव्य भावों से भरे ,शुचि-
ज्ञान की तुम व्यंज़ना |
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |
तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |
तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||
जलज-दल पलकें उठालो ,
नित नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |
तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |
तुम ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए ये जहां |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |
लेखक परिचयनाम—डा श्याम गुप्तपिता—स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता,जन्म—१० नवम्बर, १९४४ ई.जन्म स्थान—मिढाकुर, जि. आगरा, उ.प्र. . भारत शिक्षा—एम.बी.,बी.एस., एम.एस.(शल्य) व्यवसाय-चिकित्सक,(शल्य)-उ.रे.चिकित्सालय ,लखनऊ से व.चि. अधीक्षक पद से सेवा निवृत । साहित्यिक गतिविधियां-विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध, काव्य की सभी विधाओं—गीत,अगीत, गद्य,निबंध, कथा, आलेख , समीक्षा आदि में लेखन ।इन्टर्नेट पत्रिकाओं में लेखन।प्रकाशित कृतियाँ — १. काव्य दूत, २. काव्य निर्झरिणी ३. काव्य मुक्तामृत (काव्य सन्ग्रह)४. सृष्टि –अगीत विधा महाकाव्य ५.प्रेम काव्य-गीति विधा महाकाव्य ६. शूर्पणखा-काव्य-उपन्यास एवं ७.इन्द्रधनुष (उपन्यास) ८, अगीत साहित्य दर्पण ( अगीत कविता विधा का छंद विधान )मेरे ब्लोग्स( इन्टर्नेट-चिट्ठे)—श्याम स्मृति (http://shyamthot.blogspot.com),साहित्य श्याम, vijaanaati-vijaanaati-science , अगीतायन, हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान एवं छिद्रान्वेषी. सम्मान आदि— अनेक संस्थाओं से सम्मान व पुरस्कार।पता— डा श्याम गुप्त, सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना ,लखनऊ-( उ.प्र. भारत ) २२६०१२ .मो.०९४१५१५६४६४ email—drgupta04@gmail.com