मधु कल्पना हो / श्याम गुप्त की कविता

तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||
रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का  हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |
तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |
 

डा श्याम गुप्त

काव्य भावों से भरे ,शुचि-
ज्ञान  की तुम व्यंज़ना |
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |
तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
 तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |
तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||
जलज-दल पलकें उठालो ,
नित  नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |
तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |
तुम  ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए  ये   जहां  |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |
लेखक परिचय
नाम—डा श्याम गुप्त
पिता—स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता,
जन्म—१० नवम्बर, १९४४ ई. 
जन्म स्थान—मिढाकुर, जि. आगरा, उ.प्र. . भारत   शिक्षा—एम.बी.,बी.एस., एम.एस.(शल्य) व्यवसाय-चिकित्सक,(शल्य)-उ.रे.चिकित्सालय ,लखनऊ से व.चि. अधीक्षक पद से सेवा निवृत 
साहित्यिक गतिविधियां-विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध, काव्य की सभी विधाओं—गीत,अगीत,  गद्य,निबंध, कथा, आलेख , समीक्षा आदि में लेखन ।इन्टर्नेट पत्रिकाओं में लेखन।  
प्रकाशित कृतियाँ  १. काव्य दूत, २. काव्य निर्झरिणी ३. काव्य मुक्तामृत (काव्य सन्ग्रह)
 ४. सृष्टि –अगीत विधा महाकाव्य  ५.प्रेम काव्य-गीति विधा महाकाव्य ६. शूर्पणखा-काव्य-उपन्यास एवं         ७.इन्द्रधनुष (उपन्यास)  ८, अगीत साहित्य दर्पण ( अगीत कविता विधा का छंद विधान )
मेरे ब्लोग्स( इन्टर्नेट-चिट्ठे)—श्याम स्मृति (http://shyamthot.blogspot.com),साहित्य श्याम, vijaanaati-vijaanaati-science , अगीतायन, हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान एवं छिद्रान्वेषी.     
सम्मान आदि— अनेक संस्थाओं से सम्मान व पुरस्कार।
पता—  डा श्याम गुप्त,  सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना ,लखनऊ-( उ.प्र. भारत ) २२६०१२ .
          मो.०९४१५१५६४६४ email—drgupta04@gmail.com 
                          drshyamgupta44@gmail.com
   

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