प्रेम क्या है ?
प्रेम क्या है ?
प्रेम आस है, विश्वास है श्वास है आभास है।
प्रेम मन की अनुभूति है।
प्रेम रिश्तों की अनुभूति है।
प्रेम जिम्मेदारी का एहसास है
प्रेम रिश्तों की मजबूती है।
प्रेम अपनों का विश्वास है।
प्रेम माँ की ममता है।
प्रेम पिता की कार्य क्षमता है।
प्रेम बच्चों की हँसी है।
प्रेम बूढों की खुशी है।
प्रेम ईश्वर की भक्ति है।
प्रेम दुःखों से लड़ने की शक्ति है।
प्रेम समुद्र की गहराई है।
प्रेम आसमान की ऊँचाई है
प्रेम मे बस अच्छाई है।
प्रेम वहां है जहाँ सच्चाई है।
माँ ही स्वर्ग है
कभी बेटी ,तो कभी बहन, कभी पत्नी,तो कभी बहू,हर रिस्ता निभाया है तूने
फूलो से नाजुक,हवाओं से हल्की है, सुन्दर दया की मूरत।
बिस्तर पर बैठी,बच्चों को लोरी सुनाती
खुद भूखा रहती,बच्चों को खाना खिलाती ।
खुद तपती धुप में बच्चों को रखती आँचल मे ऐसी
होती है । प्यार की मूरत माँ।
आज तक न समझ सका है,कोई न
समझ पायेगा तुझे ऐसी ही अदभुत रचना है माँ
माँ खुदा है भगवान है माँ
प्यार की मूरत है माँ…….।।