हे सरकारी सेवक मत इतराओ पद पर

हे सरकारी सेवक मत इतराओ पद पर

हे सरकारी सेवक मत इतराओ पद पर,
मत कहलाओ खुद को साहब और सर!
साहब और सर ये गुलामी का प्रतीक है,
ये नहीं है भारतीय रीति रिवाज कल्चर!

हे सरकारी सेवक मत इतराओ पद पर
सरकारी सेवक

स्वदेश में पूर्वाग्रह मुक्त अहंकार रहित
देशी उपाधि है मान्यवर,प्रियवर,बंधुवर!
राम कृष्ण बुद्ध जिन नहीं बन सकते,
चाहे तुम बन जाओ मजिस्ट्रेट अफसर!

सरकारी सेवा साठ वर्ष तक अनुबंधित,
सरकारी सेवा नहीं होती है जीवन भर!
फ्यूज बल्व की तरह हो जाते हैं सेवक,
उम्र साठ वर्ष के बाद सेवानिवृत्त होकर!

फ्यूज बल्व की पावर नहीं देखी जाती,
सभी सेवानिवृत्त कर्मी कहलाते पेंशनर!
चाहे बल्व हो जीरो या हंड्रेड पावर का,
फ्यूज बल्वों में होता नहीं कोई अंतर!

फ्यूज बल्व की कंपनी व रोशनी क्षमता,
कुछ भी नहीं देखी जाती फ्यूज होनेपर!
सेवानिवृत्त कर्मी का ठिकाना होता घर,
सेवानिवृत्त कर्मी को भूल जाता दफ्तर!

जितने बड़े पद से सेवानिवृत्त हुए होते,
उतना ही बड़ा होता है पद का अहंकार,
और अहंकारी जन से दूर रहते हरकोई,
अस्तु अहं की बात मत करो मान्यवर!

अहंकार का ही भोजन करते हैं ईश्वर!
अहंकार का ही शिकार करते परमेश्वर!
अहंकार है परम शत्रु मानव जीवन का,
अहंकारियों का जीना हो जाता है दूभर!


– विनय कुमार विनायक,

दुमका, झारखण्ड-814101

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