माँ

माँ

माँ एक छोटा सा शब्द है | माँ शब्द आते ही पूरे ब्रह्मांड की शक्ति आ जाती है | माँ एक सरलता की मूर्ति होती है |
माँ

माँ के बिना जीवन का खेल अधूरा होता है | माँ ही इस संसार की एक मुख्य अदाकारा होती है जो जीवन को खुशियों के रंग से भरती है | जीवन जीने की कला बताती है | माँ के बिना जीवन रंगहीन हो जाता है | माँ के अभाव में बालक में भोलापन नहीं आ पाता है | सच्चे प्रेम के अभाव में जीवन दुःखमय हो जाता है | जिसकी माँ नहीं होती है | वह एक अभागा जीवन जीने के लिये मजबूर होता है | माँ से मिलता है सच्चा प्रेम, सच्चा स्नेह व आलिंगन, एक सच्ची मुश्कान माँ से ही मिल पाता है |

माँ ही एक ऐसी प्राणी होती है जहाँ बालक को अनमोल प्यार मिलता है और अनमोल खुशी मिलती है |
माँ को हम अपने जीवन से अलग नहीं कर सकते हैं | माँ ही एक ऐसी शख्स होती है जो जीवन की कई परेशानियों को झेलते हुये बच्चे को मुश्कान देती रहती है | माँ यदि गरीब है फिर भी बच्चे को भूखे नहीं सोने देती है | खुद भूख सह लेती है | दुःख सहकर जीवन की खुशियाँ देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है | किसी माँ का कोई लड़का लूला लंगड़ा,बहरा,काना,अंधा है तो भी उसका प्रेम उसके लिये कम नहीं होता है | वह अपने इस तरह के बच्चों का कभी उपहास नहीं करती है | कभी वह हेय दृष्टि से नहीं देखती है | यही तो माँ का गुण है |  माँ एक सर्वशक्तिमान है | दयालुता की मूर्ति है | सहृदयता तो कूट कूट कर भरी होती है | करूणा की सागर होती है | ममता की छाँव होती है | प्रेम को न्योछावर करने वाली होती है | माँ के प्रति जिसके हृदय में आस्था है | वह व्यक्ति कभी टूट नहीं सकता है |
हमें माँ से बैर नही करना चाहिये जो व्यक्ति माँ से बैर करता है | उसके जीवन में खुशियाँ छिन जाती है | उसके जीवन में प्रसन्नता बहुत मुश्किल से आती है | उसका विकास अवरूध्द हो जाता है | निराशा से भर जाता है | विचारों में सादगी नहीं आ पाती है | माँ के सानिध्य में     करूणा,दया,आत्मीयता,सरलता,उदारता,सहिष्णुता,सहृदयता आदि मुफ्त में मिल जाती है जो चीज मुफ्त में मिले लेने में संकोच नहीं करना चाहिये क्योंकि इन सारी चीजों के लिये लाखों रूपये खर्च करने पर भी नहीं मिलते हैं | कभी-कभी कुछ हालातों के चलते यदि माँ से अलग रहना पड़ रहा है तो भी जब भी मौका मिले माँ की सेवा करने में निःसंकोच रहना चाहिये | कुछ लोग शादी के बाद पत्नीमय जीवन जीने लगते हैं | पत्नी के कहे के अनुसार चलते हैं | माँ का अपमान करते रहते हैं | इस प्रकार के व्यक्ति का जीवन अभागा कहा जा सकता है |
अतः दोश्तों,माँ में ही सारी सृष्टि समाई हुई है | माँ एक महानता लिये हुये शब्द है | माँ से जिसने नाता रिश्ता रखा | वह जीवन के समस्त शब्दों का आनंद लिया | जिसने अपमान का घूँट पिलाया उसका जीवन नरकीय जीवन हो जाता है | वह दर दर भटकता है | ठोंकरे खाता है | माँ जब किसी से रूष्ट हुई तो समझिये की ईश्वर ही रूठ गया है फिर आपका जीवन संतुलित नहीं हो पायेगा | हम सब को किसी भी कीमत पर माँ को अपमानित नहीं करना है | उसको सम्मान देना है जिसने जीवन भर आपदा,मुसीबत सह कर दो रोटी खिलाती रही जब दो रोटी उसको खिलाने की बात आती है तो कई लोग मुकर जाते हैं | इन सारी चीजों से बचकर हमें माँ के लिये जो कुछ बन सके वह सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहिये | यही सब माँ के लिये सच्ची श्रध्दांजलि होगी |
जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

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