रणजीत कुमार |
जीवन के कैनवास पर
सब श्वेत श्याम है
पर तुम्हारे सृजन को
मेरा प्रणाम है
कुची है थाल रंग की
तुम चित्रकार हो
तुम वसंत की
शीतल फुहार हो
संगीत गीत तुम ही हो
तुम ही मल्हार हो
स्वीकार करो रचयिता मेरा ये नमन
रंगों में सराबोर हो मेरा ये अंतर्मन
कलुषित विचार मेरे होलिका में हो दहन
ललाट पे मेरे प्रभु करदो तुम चन्दन
होली मेरी सार्थक हो सानिध्य तुम्हारे
अभिनन्दन तुम्हारा करूँ बाहोँ को पसारे……………..
यह रचना रणजीत कुमार मिश्र द्वारा लिखी गयी है। आप एक शोध छात्र है। इनका कार्य, विज्ञान के क्षेत्र में है . साहित्य के क्षेत्र में इनकी अभिरुचि बचनपन से ही रही है . आपका उद्देश्य हिंदी व अंग्रेजी लेखनी के माध्यम से अपने भाव और अनुभवों को सामाजिक हित के लिए कलमबद्ध करना है।