Class 11 Hindi Antral Chapter 1 Ande ke chhilke अंडे के छिलके

अंडे के छिलके मोहन राकेश



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अंडे के छिलके पाठ का सार सारांश 

प्रस्तुत पाठ अंडे के छिलके लेखक मोहन राकेश जी के द्वारा रचित एक एकांकी नाटक है | इस एकांकी नाटक में विभिन्न उद्देश्य निहित हैं | इसका मुख्य उद्देश्य परंपरावादी और आधुनिकतावादी दृष्टिकोण के मध्य जो द्वंद्व है, उसको उभारना है तथा वर्तमान या आधुनिक समाज के दिखावे की संस्कृति और समाज की विभिन्न विकृतियों को उजागर करना है | साथ ही साथ यह एकांकी नाटक एक परिवार को एकता और आत्मीयता के सूत्र में बंधकर एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने का सबक देता है | विद्यार्थियों को आडम्बरयुक्त जीवन से परे हटकर यथार्थ में जीने पर बल देता है |साथ में धूम्रपान जैसी बुराइयों के प्रति जागरूक करता है | 

इस एकांकी नाटक के माध्यम से लेखक मोहन राकेश जी ने एक संयुक्त परिवार की विभिन्न रुचियों या पहलुओं को बड़ी सूक्ष्म तरीके से उभारने का प्रयास किया है | प्रस्तुत एकांकी के अनुसार, परिवार में श्याम, वीना, राधा, गोपाल, जमुना (अम्मा जी) और माधव छः अलग-अलग रुचियों के पात्र नज़र आते हैं | हर एक पात्र एक-दूसरे से छिपकर या बचकर अपने-अपने शौक पूरे करते नज़र आते हैं, लेकिन साथ में एक-दूसरे की भावनाओं को भी समझते हैं | 

Class 11 Hindi Antral Chapter 1 Ande ke chhilke अंडे के छिलके

एकांकी के आरंभ में जब पर्दा धीरे-धीरे उठता है, तो गैलरी वाला दरवाज़ा खुला दिखाई देता है | श्याम सीटी बजाते हुए प्रवेश करता है, बाहर बारिश हो रही होती है | उसकी बरसाती से पानी की बूँदे टपक रहा होता है | श्याम और वीना आपस में बातें करते हैं | वीना और श्याम एक-दूसरे के भाभी-देवर हैं | श्याम, वीना के कमरे में आते हुए कहता है कि भाई का कमरा अब पराया सा लगता है | पहले इस कमरे में जूते को छोड़कर सभी चीजें चारपाई पर होती थीं | आज कमरे का नक्शा ही बदल-बदला सा हो गया है | तत्पश्चात्, वीना, श्याम को चाय पीने को कहती है | तभी श्याम मौसम का सुहावने मिजाज़ को देखकर चाय के साथ कुछ खाने के लिए भी ले आने को कहता है | इसी बात पर वीना श्याम को संबोधित करते हुए चार-छ: अंडे लाने को कहती है | जैसे ही श्याम अंडे का नाम सुनता है तो नाटकीय अंदाज़ में नाक-भौं सिकोड़ने लगता है | इसी बात पर वीना कहती है कि यहाँ तो रोज अंडे का नाश्ता बनता है | वैसे देखा जाए तो श्याम भी सबसे छुपकर कच्चा अंडा खाता है | इसलिए वीना उसे संबोधित करते हुए कहती है कि अगर कुछ खाना ही है तो इसमें छिपाने की बात कैसी ? इसके पश्चात्, श्याम जैसे ही बाहर जाता है, वीना काम करते हुए पानी लेने के लिए राधा के कमरे में जाती है | तभी वीना को राधा के बिस्तर पर ‘चंद्रकांता’ नामक किताब मिल जाती है | वीना के पूछने पर राधा उससे कहती है कि ऐसी किताब हम अम्मा जी के सामने नहीं पढ़ सकते | 

तत्पश्चात्, वीना चाय बनाना आरम्भ करती है | उसी समय एकांकी नाटक में गोपाल का प्रवेश होता है | वह वीना को चाय बनाते देख प्रसन्न हो जाता है | परन्तु, वीना उससे कहती है कि यह चाय श्याम के लिए है | तभी गोपाल अपनी भाभी राधा की तारीफ़ करने लगता है | वहाँ पर गोपाल सिगरेट पीना चाहता है, लेकिन संकोचवश वह सामने खड़ी वीना को सफाई देते हुए कहता है कि वह भाभी के सामने पी लेता है | यह बात भाभी के सिवा किसी को मालूम नहीं | इतने में श्याम वहाँ अंडे लेकर आ जाता है और उन सबकी पोल खुल जाती है | तत्पश्चात्, वीना अंडे का हलवा बनाती है | इतने में सबको ‘जमुना देवी’ (अम्मा जी) की आवाज़ सुनाई पड़ती है | वहाँ मौजूद सभी सकपका जाते हैं | जल्दबाज़ी में सारी चीजें ढक देते हैं | बंद दरवाजे को ढकेलते हुए, जमुना अंदर आकर सबसे पूछती है कि तुमलोग अंदर से दरवाजा क्यों बंद करके रखे हो ? सब के सब अम्मा जी को देखकर हैरान रह जाते हैं | बातों ही बातों में उनको फुसलाने की कोशिश करते हैं | जमुना (अम्मा जी) वहाँ आकर यह शिकायत करती है कि — 

“आज दो घंटे से मेरे कमरे की छत चू रही है | मैंने कितनी बार कहा था कि लिपाई करा दो, नहीं तो बरसात में तकलीफ़ होगी | मगर मेरी बात तो तुम सब लोग सुनी-अनसुनी कर देते हो | कुछ भी कहूँ, बस हाँ माँ, कल करा देंगे माँ, कहकर टाल देते हो | अब देखो चलकर, कैसे हर चीज़ भीग रही है ! … क्या बात है, सब लोग गुमसुम क्यूँ हो गए हो ? वीना, तू इस वक़्त यह चम्मच लिए क्यूँ खड़ी हो ? और गोपाल तू वहाँ क्या कर रहा है कोने में…?” 

तभी गोपाल बात बनाते हुए जवाब देता है कि वीना का हाथ जल गया है, मैं उसके लिए मरहम ढूंढ रहा हूँ | इतने अम्मा जी फौरन पूछती है कि स्टॉव के ऊपर क्या रखा है ? वह उसे देखने की इच्छा जाहिर करती है | गोपाल अम्मा जी को हाथ लगाने से मना करता है | वह उसमें से करंट मारने का डर दिखाता है | वहाँ पर राधा भी बहाना बनाती है कि श्याम के घुटने में गेंद लग गई है, इसलिए पुल्टिस बांधने के लिए इसे गर्म किया है | तभी जमुना (अम्मा जी) खुद पुल्टिस बांधने की बात कहती है | इतने में गोपाल किसी प्रकार से बहाना बनाकर उन्हें मना कर देता है और उनको उनके कमरे तक छोड़ने चला जाता है | अम्मा जी के वहाँ पर से जाते ही सभी अंडे का हलवा खाने लगते हैं तथा छिलकों को छिपाने का उपाय सोचने लगते हैं | तभी बड़ा भाई माधव वहाँ पर आता है | माधव को आते ही उसे सब कुछ पता चल जाता है | जब गोपाल उससे प्रार्थना करता है कि वो अम्मा को कुछ भी न बताए, तो माधव कहता है कि अम्मा को सब कुछ पता है | अब तुम लोगों को अंडे के छिलके कहीं छिपाने की कोई आवश्यकता नहीं | 

अत: हम कह सकते हैं कि श्याम, वीना, राधा और गोपाल अम्मा जी से छिपकर अंडे का सेवन करते हैं | गोपाल सिगरेट भी पीता है | यहाँ तक की अम्मा जी उन लोगों के बारे में सब कुछ जानती है, फिर भी जानबूझकर अनदेखा करती है | बेशक, सभी विभिन्न रुचियों के होते हुए भी एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं | सभी पात्रों की परस्पर घनिष्ठता तथा आत्मीयता पूरे एकांकी में झलकती है…|| 

मोहन राकेश का जीवन परिचय

प्रस्तुत एकांकी नाटक के रचनाकार मोहन राकेश जी हैं | इनके जीवन का कार्यकाल 8 जनवरी 1925 से 3 जनवरी 1972 तक रहा | मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले मोहन राकेश जी का जीवन बेहद उतार-चढ़ाव और बदलाव से भरा रहा | 

इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम.ए. किया तथा आगे जीविकोपार्जन के लिए अध्यापन का कार्य करते रहे | इन्होंने कुछ वर्षो तक ‘सारिका’ के संपादक की भूमिका का भी निर्वाह किया | लेखक मोहन राकेश जी हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति, नाट्य लेखक और उपन्यासकार भी रहे हैं | इनकी डायरी हिंदी में डायरी लेखन विधा की सबसे खूबसूरत कृतियों में से एक मानी जाती है | 

लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘आषाढ़ का एक दिन’ इत्यादि के रचनाकार मोहन राकेश जी हैं | इन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी’ के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है…|| 

अंडे के छिलके पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 ”पराया घर तो लगता ही है, भाभी” अपनी भाभी-भाई के कमरे में श्याम को पराएपन का अहसास क्यों होता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत एकांकी के अनुसार, श्याम के द्वारा अपनी भाभी को कहा गया वाक्य — ”पराया घर तो लगता ही है, भाभी” से तात्पर्य है यह कि श्याम हमेशा से ही एक लापरवाह किस्म का व्यक्ति था | उसका भाई (गोपाल) भी कुछ उसी का जैसा था | शादी से पहले उसका कमरा अव्यवस्थित रहा करता था | बाद में गोपाल की पत्नी वीना द्वारा शादी के बाद कमरे को व्यवस्थित ढंग से रखा जाने लगा | यही कारण है कि जब श्याम को अपने भाभी-भाई का कमरा पहले की अपेक्षा व्यवस्थित दिखने लगा तो उसे कमरे में पराएपन का अहसास होने लगा | 

प्रश्न-2 एकांकी में अम्मा की जो तसवीर उभरती है, अंत में वह बिलकुल बदल जाती है — टिप्पणी कीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, इस एकांकी नाटक के शुरुआती सफ़र में मालूम पड़ता है कि अम्मा जी बहुत सख़्त मिजाज की महिला हैं, जो पूरे सांस्कारिक ढंग से घर के सभी सदस्यों को लेकर चलती हैं | उन्हें घर में अंडे खाना, चंद्रकांता जैसी पुस्तकें पढ़ना तथा सिगरेट पीना इत्यादि बिल्कुल भी पसंद नहीं है | ऐसी चीज़ों से घर में परहेज किया जाता है | इसलिए अम्मा जी के डर से परिवार के सभी सदस्य उक्त कार्य छिपकर किया करते हैं | 

अत: हम कह सकते हैं कि उक्त प्रकार की बातें पढ़कर पाठक के मन में अम्मा जी के प्रति रूढ़िवादी सोच रखने वाली महिला की तस्वीर उभरती है, जिसकी पुरानी सोच से घरवाले परेशान हैं | परन्तु इस एंकाकी के अंतिम सफ़र तक पहुँचते-पहुँचते माधव (बड़ा भाई) के कथन से सबके होश उड़ जाते हैं कि अम्मा जी तो सबके चोरी-छिपे वाले कारनामें जानती हैं | 

तत्पश्चात्, पाठकों को मालूम पड़ता है कि अम्मा जी तो एक सुलझी हुई महिला हैं | वे इतनी समझदार हैं कि छोटे में अपने प्रति सम्मान को बनाए भी रखती हैं और दूसरों की आजादी में हस्तेक्षप भी नहीं करती | उन्हें पता है कि अगर वे बच्चों को इन कामों से रोकेंगी, तो हो सकता है कि बच्चों के मन में उनके प्रति सम्मान और भय की भावनाएँ समाप्त हो जाए | 

प्रश्न-3 अंडे खाना, ‘चंद्रकांता संतति’ पढ़ना आदि किन्हीं संदर्भों में गलत नहीं है, फिर भी नाटक के पात्र इन्हें छिपकर करते हैं | क्यों ? आप उनकी जगह होते तो क्या करते ? 

उत्तर- अंडे खाना, ‘चंद्रकांता संतति’ पढ़ना आदि किन्हीं संदर्भों में गलत नहीं है, फिर भी प्रस्तुत नाटक के पात्र इन्हें छिपकर करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी माँ थोड़ा पुरारे विचारधारा की है | माँ के प्रति प्रेम व सम्मान भी उन्हें ये कार्य छिपकर करने के लिए प्रेरित करता था | दूसरा कारण यह भी था कि परिवारवाले अपने घर के बड़ों का आदर-सम्मान किया करते थे | वे अपने बड़ों की सोच को जानते थे | अतः उनकी बात रखने के लिए ये कार्य उनसे छिपकर किया करते थे | 

यदि मैं उनकी जगह होता (………..?………..)(इसका व्यक्तिगत जवाब होगा |) 

प्रश्न-4 राधा के चरित्र की ऐसी कौन सी विशेषताएँ हैं जिन्हें आप अपनाना चाहेंगे ? 

उत्तर- प्रस्तुत एकांकी के अनुसार, राधा के चरित्र की कुछ विशेषताएँ, जो अपनाने योग्य हैं — 

• राधा एक समझदार स्त्री है | वह स्थितियों के मुताबिक त्वरित व सही निर्णय लेने में सक्षम है | वह दूसरों की गलती छिपा लेती है, ताकि कोई अपमानित न हो | 

• राधा को पढ़ना पसंद है | वह जो पढ़ती है, उसमें वह सही-गलत का मंथन व विश्लेषण भी करती है | 
वह पौराणिक कथा से लेकर तिलिस्म कथा तक के पात्रों का भी मंथन करती है | 

• राधा एक गम्भीर स्वभाव की महिला है | घर में कौन क्या करता है, यह सब जानकारी रखती है | किन्तु, वह किसी से कुछ नहीं कहती | 

प्रश्न-5 (क)- सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुज़ुर्गों की धूम्रपान की मनाही के पीछे कौन से कारण हैं ? 

(ख)- यदि आप अपने घनिष्ठ मित्र को चोरी-छिपे सिगरेट पीते देखें, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी ? 

उत्तर- (क)वास्तव में देखा जाए तो सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुज़ुर्गों की धूम्रपान की मनाही के पीछे कोई अंतर नहीं है | दोनों का उद्देश्य एक ही है | धूम्रपान मनुष्य को सिर्फ नुकसान ही देता है | इससे कई ज़िंदगियाँ पल भर में बर्बाद हो जाती हैं | धूम्रपान एक विश्वव्यापी समस्या का रूप धारण कर लिया है | इसलिए सरकार तथा बड़े-बुज़ुर्ग हमें इसका सेवन करने व इसके नुकसान से रोकने का प्रयास करते हैं | 

उत्तर- (ख) (विद्यार्थी इसका जवाब स्वंय दें |) 

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अंडे के छिलके पाठ से संबंधित शब्दार्थ 

• इश्नान – स्नान 
• तलब – चाह, इच्छा 
• सौगात – तोहफ़ा, उपहार 
• कृतज्ञता – आभार 
• लच्छन – लक्षण 
• खामखाह – बेवजह, बिना कारण 
• मरदूद – निकम्मा 
• दस्तूर – रीति, तरीका 
• करतूत – करनी, काम 
• संझा – संध्या 
• बाँच – पढ़ 
• तिलिस्म – जादू, इंद्रजाल  | 

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