अब आदत सी हो गयी

अब आदत सी हो गयी

गिरते सँभलते चलने की
अब आदत सी हो गयी
रेत पर नाम लिखने की
ख्वाइश भी अब खो गयी

तैरते नए किनारो तक
पहुँचने की चाहत तो चली गयी
दुनिया का सफर करते
सफर की उम्मीद भी मिट गयी

लगता है अब क्यों ना
समंदर के बीच ही रह जाऊं
लहरों के साथ खेलते
पानी में समां जाऊं

लगता हैं अब दिल में

श्रेया एन चोपड़ा





यूँही कही रुक जाऊं
समां का मज़ा लेते
यूँही वक़्त में समां जाऊं

यह रचना श्रेया चोपड़ा जी द्वारा लिखी गयी है। आप अभी छात्रा हैं। आप कविता – कहानी आदि विधाओं में अपनी लेखनी का प्रयोग करती हैं। लेखन से आप अपने विचारों को व्यक्त करना चाहती हैं।

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