जीवन का लक्ष्य पाठ
जीवन का लक्ष्य पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ जीवन का लक्ष्य नामक शीर्षक से उल्लेखित है | प्रस्तुत पाठ में जीवन के लक्ष्य पर प्रकाश डाला गया है । प्रत्येक मनुष्य के लिए अपने जीवन में कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होना चाहिए, जो यह निर्धारित करता है कि हमें जीवन में क्या करना है। अगर हमने कोई लक्ष्य बना लिया है तो वह हमें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस पाठ में लक्ष्य को महत्वपूर्ण बताते हुए इसकी महत्ता का वर्णन किया है। प्रत्येक व्यक्ति की रुचियाँ और योग्यताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं | उसे अपनी योग्यताएँ और रुचियों के अनुसार ही जीवन का लक्ष्य चुनना चाहिए। सफलता शब्द सुनते ही मन में खुशी का संचार होने लगता है | छोटे-बड़े सब के चेहरे खिल उठते हैं । सफलता स्वयं में खुशी, उत्साह तथा प्रेरणा का संगम होता है |
प्रकृति भी हमें कुछ सीखाना चाहती है | वह हमें काम में जुटे रहने की प्रेरणा देती है | उगता-डूबता सूरज, बहती नदियाँ, गिरते झरने, बहती हवा मनुष्य को हमेशा आगे बढ़ने का सन्देश देते हैं। वो निष्ठा से कार्य करते हैं | सफलता उनकी कदम चूमती है। प्रकृति हमें यही सीख देती है कि सब के अलग-अलग रंग-रूप हैं, हमें वही करना चाहिए जिसे हम अच्छे से कर सकते हैं। सबकी रुचियाँ और योग्यताएँ अलग-अलग होती हैं | किसी की किसी से तुलना नहीं करना चाहिए, कोई कवि है, कोई लेखक है कोई अच्छा खिलाड़ी तो कोई अभिनेता |
Question Answer of Jeevan Ka Lakshya
प्रश्न-1 सफलता प्राप्त करने पर साधारणतया लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है ?
उत्तर- सफलता प्राप्त करने पर साधारणतया लोगों की प्रतिक्रिया होती है- जीवन में प्रसन्नता का संचार होने लगता है। सफलता स्वयं में खुशी, उत्साह तथा प्रेरणा का संगम है। सफलता से जीवन में खुशी की लहर दौड़ जाती है और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है तथा व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
प्रश्न-2 ‘जब तक लक्ष्य साधा नहीं जाएगा, उसे पाना दूभर है’ । कैसे ?
उत्तर- ‘जब तक लक्ष्य साधा नहीं जाएगा,उसे पाना दूभर है’ क्योंकि जब तक मनुष्य को मंजिल का पता नहीं होगा तब तक वह आगे नहीं बढ़ सकता । अगर वह एक लक्ष्य निर्धारित कर लेगा की उसे क्या चाहिए तब वह उस कार्य के प्रति मेहनत और लगन से उसे प्राप्त कर सकता है | बिना परिश्रम लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मनुष्य को अपनी रुचि के आधार पर परिश्रम करना चाहिए।
प्रश्न-3 प्रकृति हमें क्या प्रेरणा देती है ?
उत्तर- प्रकृति हमें काम में जुटे रहने की प्रेरणा देती है। बहती हवा, उगता-डूबता सूरज, बहती नदियाँ, गिरते झरने मनुष्य को सदैव आगे बढ़ते रहने का संदेश देते हैं। इन्ही की तरह जो सदैव काम में जुटे रहते हैं । सफलता उन्हीं के चरण चुमती है।
प्रश्न-4 लक्ष्य सिद्धि का मुख्य आधार क्या है ?
उत्तर- परिश्रम ही लक्ष्य सिद्धि का मुख्य आधार है।
प्रश्न-5 सफलता प्राप्ति के लिए क्या-क्या करना अनिवार्य है ?
उत्तर- सफलता पाने के लिए उसमें पूरी तरह डूब जाना जरूरी है। अपने भीतर के व्यक्ति को पहचाना आवश्यक है। सफलता प्राप्ति के लिए जीवन में सही लक्ष्य का चुनाव करना बहुत आवश्यक होता है एवं अपने योग्यताओं और सीमाओं का ध्यान रखना जरूरी होता है | जीवन में सफलता पाने के लिए कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए।
प्रश्न-6 अपने भीतर के व्यक्ति या प्रतिभा को कैसे पहचाना जा सकता है ?
उत्तर- अपने भीतर के व्यक्ति या प्रतिभा को पहचानने के लिए अपने रूचि को जानना आवश्यक है। मनुष्य अपने रुचि के अनुरूप काम करके ही लक्ष्य प्राप्त करता है, जैसे कोई व्यक्ति अच्छा लेखक होता है, कोई अच्छा वक्ता होता है, किसी को पेड़-पौधे में रुचि होती है तो किसी को अंतरिक्ष में विचरते असंख्य तारों से कोई बड़ी-बड़ी मशीनों को नियंत्रित करने में आंनद का अनुभव करता है तो कोई रंग और कूची उठाकर चित्र बनाने में रुचि रखता है | हमें अपने अंदर के रुचि को पहचान कर निखारना होगा तभी सफलता प्राप्त होगी।
प्रश्न-7 कैसे व्यक्तियों को महान माना जाता है और क्यों ?
उत्तर- संसार के उन व्यक्तियों को महान माना गया है जो व्यक्ति अपने जीवन-लक्ष्य मानवता को आधार बनाकर चुनते हैं। उनके विचार और काम समय की सीमा पार कर अमर हो जाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं। ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास से भरे होते हैं। उनके चरित्र की आभा उनके व्यक्तित्व में झलकती है।
प्रश्न-8 लक्ष्य निर्धारित करते समय किस बात पर विचार कर लेना चाहिए ?
उत्तर- लक्ष्य निर्धारित करते समय निम्नलिखित बातों पर विचार कर लेना चाहिए —
1. अपने लक्ष्य का सही समय पर चुनाव कर लेना चाहिए।
2. लक्ष्य का चुनाव अपने रुचि के अनुकूल होना अवश्य है।
3. अपने मंजिल का निर्धारण कर लेना चाहिए।
4.सफलता प्राप्त करने के लिए उसमें पूरी तरह डूब जाना चाहिए।
5. हमें लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग का ज्ञान होना चाहिए।
प्रश्न-9 आशय स्प्ष्ट कीजिए —
(i)- उनके चरित्र की आभा उनके व्यक्तित्व में झलकती है ।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ ‘जीवन के लक्ष्य’ से लिया गया है, इस पंक्ति का आशय है कि संसार में जो महान व्यक्ति होते हैं वे अपना जीवन-लक्ष्य मानवता के आधार पर चुनते हैं । उनके विचार और काम समय की सीमा पार कर अमर हो जाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं। ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास से भरे होते हैं। अर्थात् उनके चरित्र किरण उनके मुख से स्प्ष्ट रूप से झलकती है।
(ii)- संकल्प दृढ़ हो तो क्या नहीं हो सकता ।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ ‘जीवन के लक्ष्य’ से लिया गया है, इस पंक्ति का आशय है कि अगर मन में सच्चाई और आत्मविश्वास हो, मंजिल तक पहुँचने की ललक और निष्ठा से कार्य किया जाए तो हर मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से हो जाता है।
(iii)- लक्ष्य ही मंजिल बन जायेगा।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ ‘जीवन के लक्ष्य’ से लिया गया है, इस पंक्ति का आशय है कि अगर दृढ़ निश्चय और ईमानदारी से लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत किया जाए तो लक्ष्य अपने आप ही मंजिल तक पहुँचा देता है।
प्रश्न-10 इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए —
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• पेड़ – तरु, वृक्ष
• रुचि – रुझान, शौक
• चिड़िया -चिड़ी, चटका
• कदम – पग, डग
• सागर – समुद्र, जलधि
• मनुष्य – मानव, मनुज
प्रश्न-11 चार तत्सम और चार तद्भव शब्द लिखिए —
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• तत्सम – संचार, संगम, लक्ष्य, चरण
• तद्भव – चिड़िया, पेड़, लड़कीं, चाँद
प्रश्न-12 कुछ संज्ञा शब्दों में ‘त्व’ जोड़ने पर भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं ! जैसे —
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• देव – देवत्व
• पशु – पशुत्व
• बंधू – बंधुत्व
• पुरूष – पुरुषत्व
• साधू – साधुत्व
• क्षत्रिय- क्षत्रियत्व
• मनुष्य – मनुष्यत्व
• नारी – नारीत्व
• स्वामी – स्वामित्व
प्रश्न-13 इन विशेषण शब्दों में ‘ता’ जोड़कर भाववाचक संज्ञाएँ बनाइये और उनका लिंग लिखिए —
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• सफल – सफलता
• सुन्दर – सुंदरता
• उदार – उदारता
• योग्य – योग्यता
• महान – महानता
• मूढ़ – मूढ़ता
• कायर – कायरता
• मलिन – मलिनता
प्रश्न-14 पाठ में स्वर सहित ‘र’ और स्वर रहित ‘र’ की सूची बनाइये —
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• अर्जुन, पुर्ण, निर्धारित, पदार्थ, कार्य
• केंद्रित, प्रयत्न, प्रेरणा, प्रसन्नता
प्रश्न-15 प्रत्येक संयुक्त अक्षर से तीन-तीन शब्द बनाइये —
(क्ष, त्र, ज्ञ श्र)
उत्तर- उत्तर निम्नलिखित है –
• क्ष -क्षत्रिय, क्षण, क्षमा
• त्र – त्रास, त्रिलोक, त्रीशुल
• ज्ञ- ज्ञान, ज्ञानम, ज्ञापन
• श्र – श्रद्धा, श्रीकृष्ण, श्रीमती
प्रश्न-16 नीचे दिए गए शब्दों में से विशेषण और क्रियाविशेषण वाले शब्द-समूह अलग कीजिये —
बूढ़ा व्यक्ति, कमजोर प्राणी, धीरे-धीरे चलना, बहुत खाना, अचानक गिरना ,तीसरी मंजिल, असंख्य तारे
उत्तर-उत्तर निम्नलिखित है –
• विशेषण वाले शब्द समूह – बूढ़ा व्यक्ति, कमजोर प्राणी, तीसरी मंजिल,असंख्य तारे
• क्रिया विशेषण वाले शब्द समूह – धीरे-धीरे चलना, बहुत खाना, अचानक गिरना।
प्रश्न-17 अपने भीतर के व्यक्ति को पहचानना आवश्यक है ।
इस वाक्य में ‘पहचान’ संज्ञा से ‘पहचानना’ क्रिया बनी है। यह नाम धातु क्रिया है । इसका निर्माण संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण से होता है ।
अब आप इसमें नामधातु क्रिया बनाइये —
उ. उत्तर निम्नलिखित है –
• त्याग – त्यागना
• बड़-बड़ – बड़बड़ाना
• गरम – गरमाना
• शर्म – शर्माना
• दोहरा – दोहराना
• अपना – अपनाना
जीवन का लक्ष्य पाठ से संबंधित शब्दार्थ
• मेल – मिलन, केंद्र में स्थित
• लक्ष्य भेदन – निशान लगाना
• प्रोत्साहन – बढ़ावा
• साधन – माध्यम
• सहारा – आसरा
• इरादा – निश्चय