सपना मांगलिक |
मदनलाल बडबडा रहे थे कि आज सब्जीवाले ने लूट लिया अठ्ठावन रुपये की सब्जी लेने के बाद बचे दो रुपये ना देकर चार पत्ते धनिये के जबरदस्ती डाल दिए .और मना किया तो खींसे निपोरकर बोला “बाबूजी छुट्टे पैसे नहीं हैं पूरे साठ ही दे दीजिये” अरे यह भी कोई बात हुई साले सब के सब सब्जी बाले इनदिनों लूटमार करने लगे हैं .उंह एक नंबर के पैसा चोर। “कोलोनी के गेट तक आते आते मदनलाल जी यूँ ही बडबडाते रहे मगर अचानक ही कुछ झुके उन्हें जमीन पर पांच रूपये का एक सिक्का चमकता दिखाई दिया .मदनलाल जी ने इधर उधर देखा और किसी को आस पास ना पाकर चुपचाप वो सिक्का अपनी जेब के हवाले कर लिया .और पुन: सब्जी बाले पर खुन्नस निकालते आगे बढ़ गए।
यह रचना सपना मांगलिक जी द्वारा लिखी गयी है . आपका रचना कर्म कविता ,कहानी ,व्यंग ,गीत ,लेख ,संस्मरण ,समीक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है . ‘कल क्या होगा ,बगावत ,कमसिन बाला (काव्य ),पापा कब आओगे ,जंगल ट्रीट , गुनगुनाते अक्षर (बाल साहित्य ) आदि आपकी प्रकाशित कृतियाँ है . आपको विभिन्न प्रादेशिक व राजकीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है .
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