उत्साह – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

उत्साह – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कक्षा १० हिंदी क्षितिज  

बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुंघराले,
बाल कल्पना के से पाले,
विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो
बादल गरजो!

व्याख्या – कवि कहता है कि बादलों में मानवों का उत्साह है।  वह अपने उत्साह  आकाश को घेर ले।  वह अपने उत्साह से सारे आकाश को घेर ले।  उसके काले घुँघराले बालों से सज्जित रूप भयंकर गर्जना  करते हुए आकाश को घेरता है।वे कल्पना के विस्तार के समान घने है।अर्थात दूर दूर तक फैले हुए है।इसीलिए कवि बादलों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि वे अपने पौरुष से सारे संसार को नए जोश से भर दे।इसीलिए हे बादल ! तुम गर्जों !

२. विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो!

व्याख्या – कवि कहता है कि हे बादलों ! तुम्हारे आने से पहले संसार में भयंकर गर्मी के कारण लोग बेचैन और उदास थे।  चारों ओर वातावरण में निराशा व बेचैनी व्याप्त थी। हर मनुष्य व्यथित था। अतः तुम पता नहीं किस अज्ञान दिशा से आये हो। अतः अब खूब बरसो और गर्मी के कारण तप्त धरती को शीतल कर दो।  उन्हें ठंडक पहुँचावों। अतः दे बादल खूब बरसो।

प्रश्न अभ्यास 

प्र.१. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?


उत्तर १. कवि बादलों को फुहार ,रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए इसीलिए कहता है कि क्योंकि कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है।  अतः बादल अपने पौरुष का प्रयोग कर संसार को नए जोश से भर दे,


प्र.२. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?


उ २. कवि का शीर्षक उत्साह इसीलिए रखा गया क्योंकि बादल ताप और पीड़ा से व्यथित संसार पर शीतल जल की वर्षा कर दे और गरज -गरज कर अपना उत्साह प्रकट करे. बादलों के बरसने से प्राणी जगत उत्साहित व आनंदित होता है।

प्र.३. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उ ३. कवि ने बादलों को कई रूपों में प्रयोग किया है –

  •  बादल मानवों को क्रांति का अवाहन करते हैं।  
  • बादल मनुष्य को उत्साह व संघर्ष के भाव करते हैं।  
  • बेचैन और उदास के लोगों को त्रस्त करने के लिए।  

प्र.४. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उ ४. कविता में निम्न शब्दों द्वारा हम नाद सौंदर्य पाते हैं –

  • घेर -घेर गगन।  
  • ललित -ललित काले घुँघराले।  
  • शीतल कर दो – बादल ,गरजो आदि। 

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