उम्र भर लिखते रहे – राजीव कुमार थेपड़ा की कविता

उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे….!!
उम्र भर लिखते रहे…..
कब किसे ने हमें कोई भी दिलासा दिया
खुद अपने-आप से हम यूँ ही लिपटते रहे….!!
उम्र भर लिखते रहे…….
आस हमारे आस-पास आते-आते रह गयी..
हम चरागों की तरह जलते-बुझते रह गए…..!!
उम्र भर लिखते रहे…..
हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे…!!
उम्र भर लिखते रहे….
आज खुद से पूछते हैं,जिन्दगी-भर क्या किये
पागलों की तरह ताउम्र उल्टा-सीधा बकते रहे….!!
उम्र भर लिखते रहे….!!!!

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