चाहत
एक शाम तेरे साए में गुजारी थी
कुछ और भी गुजारना चाहती हूं
पकड़ के हाथ तेरा कुछ सफर काटा था
कुछ और जीवन सफर करना चाहती हूं
तारीफें दास्तान सुनाया था कभी तूने
कहानियां वह फिर से सुनना चाहती हूं
गुनगुना कर तेरा वो बात करना
संगीत वो फिर से सुनना चाहती हूं
नजर से नजर का आलिंगन किया था कभी
आगोश में फिर से समाना चाहती हूं
एहसास वो मिलन का, जो हमने महसूस किया
स्पर्श वो फिर से करना चाहती हूं
अनमोल ख्वाहिशें, हसरतें अधूरी
अब उन्हें पूरा करना चाहती हूं
एक शाम तेरे साए में गुजारी थी
कुछ और भी गुजारना चाहती हूं
– सोनिया अग्रवाल
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र