रिश्ते

रिश्ते

आसमान से हरदम ऊँचे सागर से गहरे रिश्ते
खून के रिश्तों से भी बढकर गहरे होते दिल के रिश्ते।
रिश्ते होते हैं बेहद अनमोल

बस अपनों की खुशियाँ ही होती हैं इनका मोल।
एक बार जो टूटे रिश्ते दोबारा नहीं जुड पाते हैं
आगर दोबारा जुड भी जाये दर्द गांठ का सह नहीं पाते हैं।
रिश्ते होते हैं इंसान की जीवनभर की पूँजी
रिश्ते होते हैं इंसान की सफलता की कुँजी।
दुनिया क्या है रिश्तों का एक जाल है
इस जाल को जोडकर न रखने वाला मनुष्य कंगाल है।
पैसे होते जेब में तो चार लोग रिश्ता बनाते हैं
जरा गरीबी आ जाये तो वहीं लोग साथ छोड जाते हैं।
हम सब अपनों का रखे ख्याल
अपने-अपने रिश्तों को रखे संभाल।

यह रचना विशाल गर्ग जी द्वारा लिखी गयी है.आप खुर्जा, उत्तर प्रदेश से हैं .आपने एम् .कॉम तथा बी.एड तक शिक्षा प्राप्त की है तथा शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं .

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