साँड़ बाबा
एक महिला एक साँड़ को घी – चुपडी़ रोटियाँ खिला रही थी, वहां खड़े एक सज्जन को संशय हुआ कि कदाचित् यह महिला, साँड़ को गाय समझ रही है,तब उस सज्जन व्यक्ति ने कहा-
“बहन यह ‘साँड़’ है ‘गाय’ नहीं, आप इसे रोटियाँ खिला रही हैं किन्तु यह प्रति दिन गाँव में तीन चार लोगों को सींग मार कर हड्डियाँ तोड़ देता है !”
महिला ने कहा “भाईसाहब मुझे पता है कि यह ‘साँड़’ है, मेरे पति ओर्थोपेडिक डॉक्टर है, उनका अस्पताल इसी ‘साँड़ बाबा’ के कारण ही चलता है !”
यह रचना हरि प्रकाश दुबे जी द्वारा लिखी गयी है . आप वर्तमान में महर्षि विद्या मंदिर स्कूल समूह के क्षेत्रीय कार्यालय हरिद्वार में “वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी” के रूप में कार्यरत हैं . आप साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाते हैं .संपर्क सूत्र :-मकान संख्या -337, MIG, विवेक विहार, रानीपुर मोड़, हरिद्वार , उत्तराखण्ड-249407फ़ोन : 8126874444, 9413874444