इंडियन विकिपीडिया » सामान्य ज्ञान » भवानीप्रसाद मिश्र की कविता – दरिंदा भवानीप्रसाद मिश्र की कविता – दरिंदा Updated on September 3, 2023 by Indian Wikipedia Share Facebook Twitter Pinterest Linkedin WhatsApp दरिंदा आदमी की आवाज़ में बोला स्वागत में मैंने अपना दरवाज़ा खोला और दरवाज़ा खोलते ही समझा कि देर हो गई मानवता थोडी बहुत जितनी भी थी ढेर हो गई !