ओह यह कोरोना

ओह यह कोरोना

संकट कैसा छाया है,
मुंह छिपाता आदमी,
समय ने आज यह,
दृश्य कैसा दिखाया है?

ओह यह कोरोना

छीना साथ दोस्तों का,
आनंद फीका उत्सवों का,
हाथों में मास्क और 
सैनीटाइज़र थमाया है।

महत्व घर का जान पाये,
दूरियों से जब घबराये,
परिवार क्या प्रीत क्या, 
समझ में अब आया है।

कुशल मंगल दूर से ही,
जान पाएँ तो बहुत है,
रहना अकेले सीख देता,
क्रूर कोरोना आया है।

प्यार दोस्तों का अमूल्य,
प्रेम परिजनों का न सस्ता,
एक-दूसरे की सभी को,
है बहुत आवश्यकता !

कामना सभी रक्षित रहें, 
प्रसन्न और स्वस्थ रहें,
संदेश से स्नेह दर्शा,
मस्त आश्वस्त रहें।

यह रचना  मधु शर्मा कटिहा जी द्वारा लिखी गयी है . आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से लाइब्रेरी साइंस में स्नातकोत्तर किया है . आपकी कुछ कहानियाँ व लेख  प्रकाशित हो चुके हैं।
Email—-madhukatiha@gmail.com 

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