कविता बहुत कुछ है
कविता सिर्फ़ शब्दों का रेला नहीं
बहुत कुछ है ….
कविता सिर्फ़ भावों का मेला नहीं
बहुत कुछ है …..
वह अभिधा शक्ति के साथ लक्षणा
और व्यंजना शक्ति से करती वज्रपात!!
वह बिन बोले गए अर्थ से भी
लिखती …अन्तर्मन के अनकहे जज्बात!!
वह सिर्फ़ छंद अलंकार का नहीं खेल
वह सिर्फ़ लय ताल के समन्वय सा
नहीं कोई सिर्फ़ मेल ….
वह तो आत्मा के रुदन को पाठक तक
पहुंचाती है
वह ह्रदय की प्रसन्नता के संग गीत गाती है
वह दृश्य नहीं सिर्फ़ …
केनवास का
कोई चित्र भी नहीं…
वह शब्द नहीं सिर्फ
अर्थ है … वह व्यंजना भी है
वह कल्पना है !!
वह रचनात्मकता है
वह है आईना मूल्यों का ….
जो जीवन में जो है उसको तो बताती है
पर जो जीवन में होना चाहिए
उसको भी दर्शाती है !!
आदर्श आचरण .. से भी
सबको रूबरू करवाती है !!
कविता इतिहास कहती है
वर्तामान लिखती है….
भविष्य को भी बांचती है !!
कविता बहुत कुछ है…..