कोहरा – नकारात्मक विचारों का | हिंदी लघु कहानी

कोहरा – नकारात्मक विचारों का

क विवाह समारोह में सम्मिलित होने के लिए दो दिन को घर छोड़कर जाना पड़ा। दो बेटे हैं जो जॉब के कारण बाहर शिफ्ट हो चुके हैं और छोटा बेटा पढ़ाई कर रहा है।
शादी के दूसरे दिन जब घर आए हम तो सब कुछ बेडरूम में फैला हुआ था और लॉकर टूटे पड़े थे मतलब सारा जेवर और नगदी गायब थे।
  
कोहरा - नकारात्मक विचारों का | हिंदी लघु कहानी

घर की स्थिति देखकर है अवाक थे कि यह सब कैसे हुआ? किसने किया,,,,,,,जो भी हो खुद को सम्हालते हुए हमने पुलिस को फोन किया और उन्होंने आकार जांच शुरू कर दी। मन मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ गया था। जिन पर कभी पूरा भरोसा था आज वो सब चेहरे चोर और फरेबी दिख रहे थे। दिन बीत रहे थे घर बाहर आना जाना रहता फिर पुलिस का आना जाना लगा रहता। ढेर सारे फोन कॉल्स,,,,,उफ्फ न खाना बनाने का टाइम न खाने का। जो भी हमदर्दी दिखाने आता वही संदिग्ध लगने लगता किसी की सांत्वना अच्छी न लग रही थी। दूध वाला वही था बालक जो रोज आता और उसका मैम कहना अच्छा लगता उसका इंतजार भी करती लेकिन एक दिन उसकी जगह कोई और दूध देने आया तो शक के घेरे में वो भी आ गया।

अरे,,,,,यह कामवाली तो कभी इतनी खुश न दिखती आज क्या बात है कहीं इसी ने तो किसी को हमारे घर से बाहर जाने की सूचना तो नहीं दी,,,??
हर दिन शक का कोहरा मेरी आंखों को धूमिल करता जा रहा था। मैं खुद को जितना समझाने का प्रयास करती सब बेकार जाता।
फिर,,,,एक दिन रात में एक बजे करीब पुलिस का दस्ता आया एक संदिग्ध के साथ और उससे पूछा कि वो किधर से घर में दाखिल हुआ? कैसे लॉकर तक पहुंचा? 
 
अब केस खुल चुका था और कोहरा भी छंट चुका था जिसके कारण मैं निर्दोष ,गरीब,सामने काम करने वाले मजदूरों पर संदेह करने लगी थी।
ऐसा ही होता है जब हमारे साथ कोई दुर्घटना होता है तो हम अनायास ही सबको दोषी मन लेते हैं और अपने विचारों के नकारात्मक प्रभाव से और दुखी हो जाते हैं। ऐसे समय में सिर्फ सही समय का धैर्य पूर्वक इंतजार करना चाहिए न कि अपनी संचित ऊर्जा को व्यर्थ गवाना चाहिए।
– अनीता तिवारी
पीलीभीत ,उत्तर प्रदेश

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