क्वांटम थ्यूरी – मंगल ज्ञानानुभाव

क्वांटम थ्यूरी संकेत करती है पदार्थ और उर्जा के संबंध पर और उजागर होता है इन दोनों का गुण एवं स्वभाव. जब हम मंथन  करें तो ज्ञात होगा की सरंचना के मूल में हम एक हैं अगर खंडित करें एक पत्थर को और मनुष्य को तो वही कार्बन, नाइट्रोजन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन एवं कुछ अन्य छोटे पदार्थ प्राप्त होंगे जिन्हें किसी भी रासायनिक केन्द्र से प्राप्त किया जा सकता है तो जो मूल अंतर है वो निहित उर्जा एवं सुचना तत्व मात्र है. तो वो क्या है जिससे की हम पृथक हो जाते हैं और क्रमिक विकास के पायदान पर सबसे ऊपर हैं. ये है हमारा तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) जो हमे विशिष्ठ बनाती है. अनुभव, विचार, भाव, हर्ष, विषाद, प्रेम, इर्ष्या, घृणा, जोश सभी के पीछे व्याप्त है हमारा तंत्रिका तंत्र. नर्वस सिस्टम संभावनाओं के द्वार खोलता है और मन से परे जो दुनिया है उससे तारतम्य बनाने का मार्ग भी अर्थात आनंद की सर्किट से जोड़ने की वो कड़ी जिससे हम ब्रह्म्हांड के अक्षय उर्जा श्रोत से संपर्क साध सकें.
हमारी तंत्रिका तंत्र हमें योग्य बनाती  है की हम अनुभवकर्ता का अनुभव  कर सकें. हमारी अंदर की यात्रा योग के माध्यम से होती है जहाँ हम स्वयं से परिचित होते हैं. एक समझ आती है जिस भी वस्तु व्यक्ति घटना से ‘मेरा’ शब्द जुड़ा है वो मैं नहीं जैसे की मेरा घर, मेरी पत्नी, मेरी नौकरी, मेरा सम्मान मेरे हैं पर मैं नहीं ठीक उसी प्रकार यह समझ की मेरा शरीर मेरा है पर मैं नहीं से आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ होती है की अगर ये सब मैं नहीं तो मैं कौन? हमारे हर प्रयास में संशय है हम अहंकार को पोषित भी करना चाहते हैं एवं देवत्व का आनंद भी. जिस प्रकार बीज़ एवं वृक्ष एक साथ नहीं रह सकते बीज़ के अस्तित्व विलीन होने से ही वृक्ष उत्पन्न होता है ठीक उसी प्रकार व्यक्ति के विलीन होने पर ईश्वर की अभिव्यक्ति होती है.
प्रकृति के कुछ मूल सिद्धांत हैं  और यहाँ जो घटनाएं हो रही  हैं वे स्वघटित एवं स्वचलित हैं अर्थात सहज. हर क्षण पराकाष्ठा है स्वयं में उस उर्जा पुंज का जिसका निर्माण हमने किया है अपने विचारों से ऐसे में आवश्यक है की जीवन का हर बहुमूल्य पल में विरोधाभास न हो और पूर्णतः स्वीकार हो नहीं तो प्रतिकर्म में ही हमारी उर्जा व्यर्थ हो जाती है. तो समझे हर विचार एक उर्जा है तरंग है और जीवन के रंगभूमि पर आने वाली दृश्य की तैयारी. जीवन मौका है या धोखा फैसला आपके हाँथ है मनो शरीर यंत्र के केन्द्र में जो तंत्रिका तंत्र है अगर उस उर्जा के श्रोत को हम आत्मसात कर सके तो निश्चय ही इश्वरीय चमत्कार को हम समझने में समर्थ होंगे.
आपकी यात्रा में हमकदम सत्यान्वेषी   

यह रचना रणजीत कुमार मिश्र द्वारा लिखी गयी है। आप एक शोध छात्र है। इनका कार्य, विज्ञान के क्षेत्र में है . साहित्य के क्षेत्र में इनकी अभिरुचि बचनपन से ही रही है . आपका उद्देश्य हिंदी व अंग्रेजी लेखनी के माध्यम से अपने भाव और अनुभवों को सामाजिक हित के लिए कलमबद्ध करना है।

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