गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय

गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय

गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय Gorakhnath गुरु गोरखनाथ की जीवन कथा नाथ योगियों में सबसे अधिक प्रसिद्धि गोरखनाथ को मिली। ये मध्ययुग के प्रसिद्ध धार्मिक नेता था। इनका समय ९ वीं और ११ वीं शताब्दी के मध्य पड़ता है। ये शिव ,देवता और शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में माने जाते हैं। उनके समय में सारा देश वेदानुयायी और वेद विरोधी दो भागों में विभक्त था। गोरखनाथ ने अपने मार्ग के समीप वाले शैवों और शाक्तों को स्वीकार कर लिया और वे सभी गोरखनाथी कहलाये। धीरे – धीरे गोरखनाथी संप्रदाय में उस समय के अधिक संप्रदाय आ गए। 
गोरखनाथ
गोरखनाथ
इसके आविर्भाव के समय भारतीय धर्म साधना निम्नतम सीमा तक पहुँच चुकी थी। उन्होंने फिर से उसमें नवीन प्राणों का संचार किया। शंकराचार्य के बाद गोरखनाथ निसंदेह ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने शक्तिशाली धर्म की नींव डाली। इन्होने योग मार्ग की परंपरा चलायी। 

गोरखनाथ की रचनाएं

गोरखनाथ के नाम पर हिंदी में ४० के ऊपर और संस्कृत में २८ के लगभग रचनाएं प्राप्त हुई हैं।इनकी रचनाओं का संकलन डॉ॰ पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल ने गोरखबानी के नाम से किया है।इनकी रचनाओं में सबदी ,प्राणसंकली,मछिन्द्र गोरखबोध ,गोरखसत,निरंजनपुराण आदि प्रसिद्ध है। गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर नाथपंथ की साधना प्रणाली पर काफी प्रकाश पड़ता है। 

कबीरदास पर प्रभाव 

गोरखनाथ शून्य के साधक थे।नाद और विन्दु के अंतर्गत उन्होंने शिव और शक्ति की कल्पना की। इन्होने सहज समाधि ,उलटी साधना ,अचेतन मन आदि पर अपनी रचनाओं में विचार किया। इनकी साधना और इनके सिद्धांत का प्रभाव कबीरदास पर दिखाई पड़ता है। 

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