सुमित्रानंदन पंत लोकायतन

सुमित्रानंदन पंत लोकायतन

सुमित्रानंदन पंत लोकायतन lokayatan sumitranandan pant सुमित्रानंदन पंत जी द्वारा रचित लोकायतन विचार प्रधान महाकाव्य है। यह ग्रन्थ ६८० पृष्ठों में लिखा गया है तथा इसके दो खंड है। प्रथम खंड चार अध्यायों तथा द्वितीय खंड तीन अध्यायों में विभक्त है। इस काव्य में एक व्यक्ति ,एक गाँव ,एक युग एवं एक धरती की गाथा दर्शाया गया है। मानवता की कहानी सुनाने यदुवंशी नामक कवि है। वह पहाड़ पर से आकर सुन्दरपुर नामक गाँव में निवास कर संसार की स्थिति पर चिंतन मनन करता रहता है। उस स्थान पर वह एक केंद्र का भी निर्माण करता है तथा उसका उद्देश्य उपकेन्द्र के माध्यम से क्रांति करना है। इस महाकाव्य के हरि,शंकर ,श्री ,प्रीति ,माधो ,गुरु ,संयुक्ता ,महात्मा गांधी आदि अन्य पात्र भी हैं। बाद में आते आते संयुक्ता और गांधी प्रधान पात्र बन जाते हैं। महाकाव्य के प्रथम खंड में आजादी की प्राप्ति और द्वितीय खंड में स्वतंत्रता की विकृति की स्थिति पर विचार किया गया है। 
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
देश के शासन की बागडोर अक्षम व्यक्तियों के हाथ में हैं। इससे कवि द्वितीय खंड में सामंतवाद ,दरिद्रता ,राग द्वेष ,राजनितिक और आर्थिक संघर्ष के उन्मूलन की बात कहता है। इसके स्थान पर इस धरती पर मानवता को फिर से स्थापित करने का स्वपन देखता है। 
वास्तव में इस महाकाव्य का मुख्य उद्देश्य है – विश्व मानवता। इस विश्व में सत्यम ,शिवमं ,सुन्दरम का साम्राज्य स्थापित करना चाहता है।  लोगों में इसका सामंजस्य देखना चाहता है। वाह्रा आडम्बर के स्थान पर वह आंतरिक शक्ति को विकसित करना चाहता है। इस महाकाव्य में विचारों की प्रधानता है। कवि स्वयं उपदेशक बन गया है। अतः उसने आदेश ,उपदेश की शैली में अपने भावों को व्यक्त्त किया है। इस महाकाव्य में संस्कृत भाषा की अधिकता है। अतः हम कह सकते हैं कि लोकायतन के द्वारा कवि ने धरा चेतना और अंत चेतन का सन्देश दिया है। वह भारतीय संस्कृति का चेतना काव्य है। 

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