बाजार में भगदड़

बाजार में भगदड़

एक बार शहर में दो समुदायों के बीच तनाव चल रहा था और झगड़ें की प्रबल आशंका थी।चिल्ली बाजार गए हुए थे। 
अचानक वे दौड़कर भागते हुए चिल्लाये – “चल गयी…. चल गयी।”
बाजार में भगदड़
उस समय उनकी उम्र तेरह वर्ष के करीब थी। 
उन्हें “चल गयी … चल गयी” चिल्लाते भागते देखकर लोगों ने समझा गोलियां चल गयी हैं। 
दुकाने बंद करके लोग भागने लगे।बाजार में भगदड़ मच गयी। कुछ समझदार लोगों ने शेख चिल्ली के साथ भागते हुए पूछा – “यह तो बताओ ,कहाँ पर चली है ? लोगों की जानें भी चली गयी है क्या ?”
“क्या मतलब ?” – चिल्ली चौंक बोले।  
“भाई ,तुम्ही तो इस खबर को लेकर आये हो। गोलियां किस मोहल्ले में चली हैं ?”
“कैसी गोलियां ?” चिल्ली ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा।  
“तुम्हीं तो चिल्ला रहे हो – चल गयी…. चल गयी।  “
“हाँ ,मैं चिल्ला रहा हूँ। “
चिल्ली ने कहा – “इसीलिए चिल्ला रहा हूँ कि मुद्दत से जेब में पड़ी वह खोटी दुअन्नी चल गयी, एक लाला की दुकान पर।”

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